उपदेशों और सिद्घांतों की इतनी भरमार है कि परमात्मा को अर्थात अपने जीवन के परम लक्ष्य को ढूंढना घास में से सुई खोजने के बराबर हो गया है। कुछ लोगों के लिए आध्यात्मिकता, माया से मुक्त होने का साधन है तो कुछ लोगों के लिए यह तप और भक्ति से भी अधिक उच्च स्तर का मार्ग है।
भले ही परमलक्ष्य तक पहुंचने के विभिन्न मार्ग क्यों न हों, लेकिन योग उनमें किसी प्रकार का भेद नहीं करता। एक योगी के लिए यह संपूर्ण सृष्टि किसी नाटक के समान है। चरित्रों और दृष्यों से प्रभावित हुए बिना इस नाटक का अनुभव करना ही परम उद्देश्य है।