Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 धर्म मूलत: विश्वास पर आधारित दर्शन है | dharmpath.com

Friday , 22 November 2024

Home » धर्म-अध्यात्म » धर्म मूलत: विश्वास पर आधारित दर्शन है

धर्म मूलत: विश्वास पर आधारित दर्शन है

artipujaभारतीय पुनर्जागरण काल के नेताओं, महात्मा गांधी और विनोबा भावे के विचारों से हमें पंथनिरपेक्षता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के प्रयास में काफी मदद मिल सकती है। इन नेताओं ने धर्म के जिस स्वरूप को महत्व दिया वह सभी धर्मो के प्रतिनिधि के रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत होता है। इसके अंतर्गत सबके कल्याण की भावना स्पष्ट होती है और जनचेतना द्वारा बंधुत्व और प्रेम का भाव उजागर होता है। धर्म मूलत: विश्वास पर आधारित दर्शन है। जब हम धर्म को तर्क पर आधारित कर लेंगे तब निश्चित रूप में हम एक आदर्श पंथनिरपेक्ष समाज की स्थापना के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। भारतीय पुनर्जागरण काल के नेताओं के विचारों में हम जिस प्रभाव को लक्षित करते हैं वह है धर्म को रूढि़गत मान्यताओं से अलग करके सामान्य कल्याण के स्तर पर लाने का प्रयास करना। यही कारण था कि राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, तिलक, टैगोर आदि के विचारों में धर्म के नाम पर किए जाने वाले अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोहपूर्ण स्वर सुनाई देते हैं। इन सभी नेताओं ने सती प्रथा, बाल विवाह, स्त्री को शिक्षा से वंचित रखने और अन्य कर्मकांडों का विरोध इस कारण नहीं किया था कि वे अधार्मिक थे या फिर धर्म के नाम पर इनका विरोध करना चाहते थे। इन कुप्रथाओं का विरोध उन्होंने इस आधार पर किया था कि उन्हें ये कुप्रथाएं अतार्किक लगीं।

गांधीजी की विचारधारा में एक अदभुत विशेषता है। उनका मानना था कि राजनीति को धर्ममय होना चाहिए। धर्म से अलग रहकर राजनीति जनता का कल्याण नहीं कर सकती। यहां गांधी सामान्य रूप में पंथनिरपेक्ष नहीं प्रतीत होते हैं, किंतु वास्तविकता यह है कि गांधी जितना ज्यादा जोर राजनीति को धर्ममय बनाने के लिए देते हैं, वह उतने ही ज्यादा पंथनिरपेक्षता के विचारों के समीप पहुंचते हैं, क्योंकि गांधी का दर्शन किसी ऐसे सिद्धांत से आबद्ध नहीं है, जिसकी भावना सांप्रदायिकता के स्तर पर पहुंच सकती हो। गांधीजी ने एक ईश्वर की संकल्पना की थी। गांधीजी का धर्म नैतिकता के करीब था इसी नैतिकता के आधार पर ही चलने का आग्रह गांधीजी का लक्ष्य भी था।

धर्म मूलत: विश्वास पर आधारित दर्शन है Reviewed by on . भारतीय पुनर्जागरण काल के नेताओं, महात्मा गांधी और विनोबा भावे के विचारों से हमें पंथनिरपेक्षता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के प्रयास में काफी मदद म भारतीय पुनर्जागरण काल के नेताओं, महात्मा गांधी और विनोबा भावे के विचारों से हमें पंथनिरपेक्षता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के प्रयास में काफी मदद म Rating:
scroll to top