नई दिल्ली: हाल में रिलीज हुई फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा दी गई है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सात से आठ कमांडो ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा में चौबीसों घंटे अग्निहोत्री की सुरक्षा करेंगे.
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अग्निहोत्री को सीआरपीएफ की ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है. अग्निहोत्री सीआरपीएफ के तहत सुरक्षा पाने वाले 118वें व्यक्ति होंगे.
अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित फिल्म, आतंकवाद के कारण कश्मीर से पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों पर आधारित है. फिल्म की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए फिल्मकार को देश में तीसरी उच्चस्तरीय श्रेणी की सुरक्षा दी गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि उनकी फिल्म को कुछ तबकों से विरोध और आशंकाओं के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया था कि 90 के दशक में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के कारण हुईं घटनाओं की प्रस्तुति से कुछ समुदाय आहत हो सकते हैं.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक आकलन में पाया गया है कि उसकी जान को खतरा है. इनपुट्स के आधार पर उन्हें पूरे देश में वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है.’
फिल्म को भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है और सभी भाजपा शासित राज्यों में या तो फिल्म को कर-मुक्त घोषित कर दिया गया है या सरकारी कर्मचारियों को फिल्म देखने के लिए विशेष अवकाश दिया जा रहा है. इस बीच विपक्ष ने फिल्म को एकतरफा और बेहद हिंसक बताया है.
भाजपा के विरोधियों पर तीखा हमला करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ की प्रतिक्रिया का जिक्र करते हुए 15 मार्च को कहा था कि ऐसी फिल्में बनती रहनी चाहिए, क्योंकि ये सच को समाने लेकर आती है. एक लंबे समय तक जिस सच को छिपाने की कोशिश की गई, उसे सामने लाया जा रहा है, जो लोग सच छिपाने की कोशिश करते थे वो आज विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने कहा था, ‘इन दिनों द कश्मीर फाइल्स की खूब चर्चा हो रही है. जो लोग हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी के झंडे लेकर घूमते हैं, वह पूरी जमात बौखला गई है.’
पीएम ने कहा, ‘तथ्यों के आधार पर इसकी विवेचना करने के बजाय, इसको बदनाम करने के लिए एक मुहिम चलाई जा रही है. यह पूरा इकोसिस्टम… अगर कोई सत्य उजागर करने का साहस करें… तो बौखला जाता है. वह वही प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं, जिसे वह सत्य मानते हैं. पिछले चार-पांच दिनों से यही कोशिश हो रही है कि लोग सत्य को न देख सकें.’
फिल्म की रिलीज के बाद दिल्ली के हर जिले में डीसीपी को किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए ‘मिश्रित आबादी’ वाले क्षेत्रों में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए कहा गया था.
सभी जिलों के डीसीपी, पीसीआर और ट्रैफिक पुलिस को 14 मार्च को जारी एक पत्र में डीसीपी (विशेष शाखा) ने कहा था, ‘फिल्म कश्मीरी पंडितों के जीवन पर और कथित तौर पर सच्ची घटनाओं पर आधारित है. इसमें कश्मीरी हिंदुओं के खिलाफ की गई बर्बरता को उसके क्रूरतम रूप में दर्शाया गया है.’
पत्र में कहा गया था, ‘यह दावा किया जाता है कि घटना का एकतरफा दृष्टिकोण संभवत: समुदायों के बीच हिंसा को बढ़ा सकता है.’