मुंबई, 13 मार्च (आईएएनएस)। केंद्र शासित दादरा एवं नागर हवेली तथा दमन एवं दीव द्वारा अचानक 19 अप्रैल को गुड फ्राइडे का अवकाश रद्द किए जाने पर ईसाई समुदाय ने नाराजगी व्यक्त की है।
हार्मोनी फाउंडेशन के प्रमुख अब्राहम मैथई ने यहां बुधवार को कहा, “यह बिल्कुक अनुचित और अस्वीकार्य है, इसने इसाईयों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है और हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।”
उन्होंने कहा कि क्रिसमस के बाद ईसाई समुदाय के लिए गुड फ्राइडे को सार्वभौमिक रूप से सबसे पवित्र दिन के रूप में जाना जाता है। भारत सरकार ने इसे राजपत्रित राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित किया हुआ है।
मैथई ने आईएएनएस से कहा, “जनसांख्यिकी में भले ही इसाईयों की संख्या कम है लेकिन सामाजिक-शैक्षिक विकास में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता, जिसमें उनकी हिस्सेदारी बहुत बड़ी संख्या में है।”
उन्होंने कहा, “समुदाय के निस्वार्थ प्रयासों की सराहना के बजाए यह अनुचित और अन्यायपूर्ण कदम थोपा गया है।”
उन्होंने केंद्र व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन से संबंधित अधिकारियों द्वारा लिए गए फैसलों को बदलने का आह्वान किया और कहा कि समुदाय ने इसे बहुत गंभीरता से लिया है।
नवंबर 2018 में आधिकारिक जिला प्रशासन अधिसूचना में बदलाव किया गया था। अधिसूचना में गुड फ्राइडे को राष्ट्रीय सार्वजनिक अवकाश को अनुसूची एक से अनुसूची दो या प्रतिबंधित अवकाश श्रेणी (रेस्ट्रिक्टेड हॉलीडे) में डाल दिया गया था।
यह मामला उस वक्त सामने आया जब समुदाय ने इन केंद्र शासित प्रदेशों के 11 पुराने गिरजाघरों में गुड फ्राइडे की तैयारियां शुरू कीं। गुड फ्राइडे यानी 19 अप्रैल को छुट्टी के दिन प्रार्थना, शोक और जलूस का दिन है।
दमन एवं दीव और दादरा व नागर हवेली में एक लाख से ज्यादा की संख्या वाले समुदाय के ईसाई नेताओं, पादरियों और कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति व देश के अन्य गणमान्य लोगों को पत्र लिखकर इस मामले पर अपना ध्यान देने और गुड फ्राइडे को सार्वजनिक अवकाश के रूप में जारी रखने का अनुरोध करने का फैसला किया है।