हरिद्वार, 8 जून (आईएएनएस)। यहां शांतिकुंज स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में एक बाल्टिक केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या और यूरोपीय देश लाटविया के विदेश मंत्री और स्वास्थ्य मंत्रालय की उप प्रमुख सुश्री पूल एवं गणराज्य के सलाहकार के बीच हुई एक बैठक में लिया गया।
यहां जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पंड्या और लाटवियाई प्रधिनिधिमंडल के बीच हुई यह वार्ता लाटविया के विदेश मंत्रालय के सभागार में आयोजित की गई। इस वार्ता में 220 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस दौरान पंड्या ने भारत और लाटविया के बीच सहयोग की अवधारणा में गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा के विचारों को साझा किया।
ज्ञात हो कि 2013 में हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय और लाटविया विश्वविद्यालय के वाइस रेक्टर के बीच करार हुआ था। यह करार सांस्कृतिक आदान-प्रदान को लेकर हुआ था।
ताजा करार में लाटविया ने देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में अपना बाल्टिक केंद्र स्थापित करने की इच्छा जताई है। यह बाल्टिक केंद्र विश्व का पहला बाल्टिक केंद्र होगा।
बयान में कहा गया है कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पंड्या ने प्रसन्नता जताई कि यह केंद्र आने वाले दिनों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रमुख केंद्र होगा।
बयान के अनुसार, डॉ. चिन्मय पंड्या बाल्टिक सागर के किनारे स्थित लिथुआनिया भी गए, जहां उन्होंने सदी में एक बार आयोजित होने वाले आध्यात्मिक समारोह में हिस्सा लिया। इस समारोह में शामिल होने वाले वह पहले भारतीय बन गए हैं।
लिथुआनिया एक ईसाई देश है, किन्तु यहां के ज्यादातर लोग खुद को आर्यो का वंशज मानते हैं। इतना ही नहीं उनकी प्रार्थना भी लगभग वैदिक भाषा संस्कृत से मिलती-जुलती है।