नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रमुख वैश्विक विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत में हेलीकॉप्टर एसेंबली लाइन स्थापित करने पर विचार कर रही है।
कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, यह एसेंबली लाइन अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर या चिनूक हेवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर के लिए हो सकती है।
बोइंग का हाल ही में भारत के साथ 22 अपाचे और 15 चिनूक सीएच-47एफ बेचने का समझौता हुआ है।
बोइंग के अध्यक्ष जेम्स मैकनर्नी ने एक कार्यक्रम में कहा कि कंपनी दोनों में से एक हेलीकॉप्टर की भारत में एसेंबलिंग करने के विकल्प पर विचार कर रही है।
कंपनी अभी बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के बीम का निर्माण भारत में नागपुर संयंत्र में करती है।
उन्होंने कहा, “हम मेक-इन-इंडिया में केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं। हम भारत में डिजाइन और विनिर्माण करना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा, “बोइंग को भारत में काफी अवसर और क्षमता दिखाई देती है और वह इस अर्थव्यवस्था के विस्तार में मदद करना चाहती है। भारत से हमें व्यापार मिलेगा और बदले में हम प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता प्रदान करेंगे।”
मैकनर्नी ने कहा, “भारत एक विशाल बाजार है और असैन्य परमाणु समझौते के बाद दोनों देशों की सरकारें रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ा सकती हैं।”
उन्होंने कहा कि कंपनी जल्द ही भारत में विमान के डैने और फ्यूजलेज भी बना सकती है।
मैकनर्नी ने यह भी कहा कि बोइंग ने गत 50 साल में अमेरिका के शेष रक्षा उद्योग के मुकाबले अधिक समझौते भारत के साथ किए हैं।
मैकनर्नी ने देशभर में लाइवस्ट्रीम किए गए वेबकास्ट में कहा, “हां, वाकई। बोइंग ने गत 50 साल में भारत के साथ उतने रक्षा सौदे किए हैं, जितने पूरे अमेरिका ने नहीं किए।”
उन्होंने बताया, “इस सफलता का संभवत: यह कारण है कि हमने इन सौदों का पहले से ही अनुमान लगा लिया था। इसके बाद हमने यहां अपनी टीम तैनात कर दी।”
मैकनर्नी ने कहा, “भारतीय सेना व्यवस्थित और सक्षम है। वह जानती है कि उसे कौन-सा उपकरण चाहिए, इसलिए उसके साथ काम करना आसान है।”
उन्होंने कहा कि कंपनी ने हेवी लिफ्ट परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर का उत्पादन बंद कर दिया था।
भारत ने कंपनी से तीन और ग्लोबमास्टर की मांग की थी।
अध्यक्ष ने कहा, “अभी हमारे पास सिर्फ एक सी-17 है। उपयोग किए जा चुके विमानों के बाजार में खरीदारी की संभावना है और ये मॉडल 20-30 साल और बाजार में रहने वाले हैं।”
भारत सरकार और बोइंग के बीच 10 सी-17 के लिए समझौता हुआ था, जिमसें चार और ग्लोबमास्टर खरीदने का भी विकल्प था। यह सौदा 4.1 अरब डॉलर का था।
हिंडन वायुसेना अड्डे स्थित भारतीय वायुसेना के ग्लोबमास्टर बेड़े का संचालन ‘स्काईलॉर्ड्स’ स्काड्रन करती है।
ग्लोबमास्टर का सबसे बड़ा बेड़ा अमेरिका के पास है, जिसमें 220 से अधिक विमान शामिल हैं। उसके बाद इसका इसका दूसरा बड़ा बेड़ा भारत के पास है, जिसमें 10 विमान हैं।