डिंडोरी, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश का डिंडोरी जिला देश के लिए एक उदाहरण बन गया है, क्योंकि यहां देश में संकटग्रस्त आदिवासियों की 72 जातियों में से एक बैगा आदिवासियों को मंगलवार को पहली बार पर्यावास अधिकार (हैबिटेट राइट) प्रमाणपत्र मिले हैं।
वन अधिकार अधिनियम 2006 में आदिवासियों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसमें आदिवासियों की 72 जातियां ऐसी हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर है। इनमें डिंडोरी क्षेत्र की बैगा जनजाति भी शामिल है। इन जातियों को अधिनियम में पर्यावास का भी अधिकार दिया गया है। अन्य जातियों को जमीन का पट्टा और जंगल के उपयोग का अधिकार है।
आदिवासियों के लिए संघर्ष करने वाले नरेश बिसवाल ने आईएएनएस को बताया है कि राज्य सरकार के मंत्री शरद जैन की मौजूदगी में मंगलवार को गौराकलाई में आयोजित समारोह में बैगा जनजाति के बसाहट वाले सात गांव के लोगों को पर्यावास अधिकार के प्रमाणपत्र दिए गए। अब इस क्षेत्र में सरकार आदिवासियों की अनुमति के बगैर कोई कार्य नहीं कर सकेगी।
बिसवाल ने आगे बताया कि देश में यह पहला मौका है, जब विशेष दर्जा प्राप्त आदिवासियों की 72 जातियों में से किसी एक जाति बैगा को पर्यावास अधिकार मिला हो। पर्यावास अधिकार पत्र वितरण में कुछ गड़बड़ियां हुई हैं, मगर संतोष इस बात का है कि ‘चलो कोई शुरुआत तो हुई।’