Swachh Survekshan 2022 Awards: केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर के लगातार छठी बार देश भर में अव्वल रहने की सिलसिलेवार कामयाबी हर रोज औसतन 1,900 टन कचरे को हर दरवाजे से छह श्रेणियों में अलग-अलग जमा करने और इसका सुरक्षित निपटान के मजबूत मॉडल पर टिकी है. वर्ष 2022 के इस सर्वेक्षण में अलग-अलग श्रेणियों में कुल 4,355 शहरों के बीच टक्कर थी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में इंदौर को एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में फिर सिरमौर घोषित किया गया.
इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के अधिकारियों ने बताया कि अपशिष्ट की प्राथमिक स्रोत पर ही सुव्यवस्थित छंटाई से मध्यप्रदेश का यह सबसे बड़ा शहर न केवल स्वच्छ बना रहता है और आबो-हवा सुरक्षित रहती है, बल्कि यह “कीमती” कचरा शहरी निकाय को करोड़ों रुपये की कमाई भी करा रहा है. उन्होंने बताया कि ‘‘कचरा पेटी मुक्त शहर” की 35 लाख की आबादी औसत आधार पर हर रोज तकरीबन 1,200 टन सूखा कचरा और 700 टन गीला कचरा उत्पन्न करती है.
अधिकारियों ने बताया कि शहर के देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 15 एकड़ पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर एक कम्पनी द्वारा चलाया जा रहा संयंत्र हर दिन 550 टन गीले कचरे (फल-सब्जियों और कच्चे मांस का अपशिष्ट, बचा या बासी भोजन, पेड़-पौधों की हरी पत्तियों, ताजा फूलों का कचरा आदि) से 17,000 से 18,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी और 100 टन जैविक खाद बना सकता है.
अधिकारियों के मुताबिक इस संयंत्र में बनी बायो-सीएनजी से 150 सिटी बसें चलाई जा रही हैं जो निजी कम्पनी द्वारा शहरी निकाय को सामान्य सीएनजी की प्रचलित बाजार दर से पांच रुपये प्रति किलोग्राम कम दाम पर बेची जाती है. इस बीच कचरे से होने वाली कमाई से आईएमसी का खजाना लगातार बढ़ रहा है. आईएमसी के अधीक्षण अभियंता महेश शर्मा ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में शहरी निकाय को कचरे से अलग-अलग स्रोतों से करीब 14.50 करोड़ रुपये की आय हुई थी.
महेश शर्मा के मुताबिक इस आय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कार्बन क्रेडिट बेचने से मिले 8.5 करोड़ रुपये और बायो-सीएनजी संयंत्र को कचरा मुहैया कराने के बदले शहरी निकाय को निजी कम्पनी द्वारा दिया जाने वाला 2.52 करोड़ रुपये का सालाना प्रीमियम शामिल है. अधीक्षण अभियंता ने बताया कि जारी वित्तीय वर्ष में कचरे से आईएमसी की कमाई बढ़कर 20 करोड़ रुपये पहुंच सकती है. उन्होंने बताया कि लगभग 8,500 “सफाई मित्र” (सफाई कर्मी) तीन पालियों में सुबह छह बजे से तड़के चार बजे तक लगातार काम करते हुए शहर को चकाचक रखते हैं. आईएमसी के उद्यान अधिकारी चेतन पाटिल ने बताया कि शहर में निकलने वाले गंदे पानी का विशेष संयंत्रों में उपचार किया जाता है और इसका 200 सार्वजनिक बगीचों के साथ ही खेतों और निर्माण गतिविधियों में दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा है.