पटना, 29 मार्च (आईएएनएस)। अब तक आपने किसी कलाकार को कैनवास पर ब्रश से चित्र उकेरते देखा होगा, लेकिन अगर किसी कलाकार को रंग से इतना प्यार हो कि वह घर-घर जाकर रंगने की बात करता हो तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है।
पटना, 29 मार्च (आईएएनएस)। अब तक आपने किसी कलाकार को कैनवास पर ब्रश से चित्र उकेरते देखा होगा, लेकिन अगर किसी कलाकार को रंग से इतना प्यार हो कि वह घर-घर जाकर रंगने की बात करता हो तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है।
इन दिनों एक दंपति अपनी हरे रंग की बुलेट मोटरसाइकिल से बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर न केवल घरों की दीवारें पर अपने कला को उकेर रहे हैं, बल्कि विद्यालयों में जाकर नौनिहालों को कला के गुर भी बता रहे हैं। ये दंपति सार्वजनिक स्थलों को रंगने की अपील भी कर रहे हैं।
नौकरीपेशा जिंदगी में बहुत कम लोग समाज के लिए समय निकाल पाते हैं, लेकिन पत्रकार जे.सुशील और कलाकार मीनाक्षी झा की जोड़ी अपने हिस्से की छुट्टियां देश के अलग अलग हिस्सों की बुलेट से यात्रा कर गुजार रही है। वह भी ऐसी यात्रा जिसमें ये दोनों अनजान लोगों के घरों में मेहमान की तरह प्रवेश कर उन्हें रंग से इतना करीब कर देते हैं कि घर वाले भी रंगने बैठ जाते हैं।
यह रंगरेज जोड़ी इन दिनों बिहार की यात्रा पर आई हुई है। इनकी यात्रा की शुरुआत पटना से हुई। पटना में इन्होंने कुछ स्कूलों में पेंटिंग की और बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी रंगने के गुर बताए।
अपनी इस यात्रा के बारे में मीनाक्षी ने आईएएनएस को बताया, “मैं और सुशील अपनी छुट्टियों को इकट्ठा कर बुलेट लेकर देश के किसी हिस्से में निकल पड़ते हैं। लोग हमसे सोशल मीडिया के जरिए संपर्क करते हैं।”
लोग उन्हें अपने घरों, स्कूलों आदि में रंग करने बुलाते हैं। इस काम में इस जोड़ी को संतुष्टि मिलती है। मीनाक्षी कहती हैं, “पेंटिग के लिए वे किसी से कुछ मांगते नहीं हैं। कोई रहने का इंतजाम कर देता है तो कोई भोजन आदि का।”
सुशील और मीनाक्षी की जोड़ी ने देशभर में दर्जनों शहरों के कई घरों और स्कूलों में घूम-घूम कर वॉल पेंटिग की है और अपनी संतुष्टि का नया जरिया ढूंढा है।
सुशील जहां बीबीसी हिंदी सेवा में नौकरी करते हैं तो वहीं उनकी पत्नी मीनाक्षी ने जेएनयू से आर्ट हिस्ट्री में स्नातकोतर (एमए) तक की पढ़ाई की है। सुशील ने अपनी पढ़ाई-लिखाई जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) से की है।
पटना, जहानाबाद, वैशाली, मुज्जफ्फरपुर होते हुए यह जोड़ी पूर्णिया पहुंची। यहां इन्होंने शहर के विद्या विहार स्कूल और वीवीआईटी इंजीनियरिंग कलेज में पेंटिंग की। यहां उनके पेंटिंग की खूब तारीफ हुई। यहां इस जोड़ी ने बच्चों की रचनात्मकता को एक कैनवास पर उतारा।
इसके बाद ये दोनों चनका गांव के संथालों के साथ पेंटिंग की। यहां उन्हें काफी कुछ नया सीखने को मिला। मीनाक्षी ने बताया कि दिल्ली से जब वे यात्रा के लिए निकले थे, तभी उन्होंने चनका गांव आने की योजना बना ली थी और आदिवासियों के संग समय गुजार उनकी ग्रामीण कला को देखने की ललक थी।
उन्होंने कहा कि उनकी पेंटिंग से काफी कुछ सीखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि बिहार के बाद वे झारंखड में आदिवासियों के कला से रूबरू होंगे।
संथाल टोले में मीनाक्षी ने फेवरिक रंग नहीं, बल्कि देसी रंगों का प्रयोग किया। यहां इनका ब्रश भी देसी था। पटसन और लकड़ी के पतले टुकड़े की मदद से ब्रश बनाया गया था। मिट्टी के घरों को रंगने के बाद मीनाक्षी ने कहा कि संथालों के साथ पेंटिंग करना पढ़ाई करने जैसा है, इन लोगों से काफी कुछ नया सीखने को मिला।
इस अनोखे काम के बारे में जे सुशील ने कहा कि दरअसल मीनाक्षी को पेंटिंग का शौक है और उन्हें देश-दुनिया घूमने का।
देश के अधिकांश हिस्सों की यात्रा अपनी बुलेट कर चुके सुशील और मीनाक्षी ने बताया कि उन्होंने अपनी बुलेट को हरी रंग में रंग दिया है और उसका नाम ‘हरी भरी’ रखा है। ये दोनों अपनी बुलेट से पुणे, गोवा, बेंगलुरू, मंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, हरियाणा के शहर, चंडीगढ़, श्रीनगर, जम्मू आदि जगहों की यात्रा कर चुके हैं। ये दोनों 15 अप्रैल तक बिहार-झारखंड के शहरों और गांवों की यात्रा करेंगे।