नई दिल्ली, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। देश के 150 शीर्ष विश्वविद्यालयों की कुल छात्र क्षमता 15,21,438 है लेकिन अभी इनमें सिर्फ 8,449 विकलांग छात्र ही पंजीकृत हैं। यह इन विश्वविद्यालयों की कुल क्षमता का सिर्फ 0.56 फीसदी है।
नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल पीपुल (एनसीपीईडीपी) द्वारा पूरे देश के महाविद्यालयों, संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में विकलांग छात्रों की स्थिति जानने के लिए करवाए गए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है। इन विश्वविद्यलयों में अध्ययनरत विकलांग विद्यार्थियों में 74.08 प्रतिशत छात्र हैं, जबकि 22.07 प्रतिशत छात्राएं।
इस राष्ट्रीय सर्वेक्षण ‘स्टेटस ऑफ डिसएबिलिटी इन हायर एजुकेशन’ को तीसरे राष्ट्रीय युवा एवं विकलांग सम्मेलन के हिस्से के रूप में जारी किया गया है।
इस सर्वेक्षण के लिए देश के 200 शीर्ष संस्थानों को पत्र लिखा गया था, लेकिन सिर्फ 150 संस्थानों ने ही सर्वेक्षण के जवाब भेजे, जिनमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के सभी 16 एवं भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के सभी 13 संस्थान शामिल हैं।
पिछले वर्ष देश के विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत विकलांग छात्रों का प्रतिशत 0.63 था।
एनसीपीईडीपी के निदेशक जावेद आबिदी ने कहा, “यह चिंता का विषय है कि कानून बने इतने वर्ष हो जाने के बावजूद सिर्फ 0.56 फीसदी विकलांग विद्यार्थी ही अध्ययनरत हैं।”
जावेद ने कई बड़े संस्थानों का जिक्र किया जिन्होंने इस सर्वेक्षण पर कोई प्रतिक्रिया नहीं और वे सभी निजी संस्थान हैं। जावेद के अनुसार वे ‘सबसे बड़े अपराधी’ हैं।
जावेद ने आईएएनएस से कहा कि इस दिशा में सबसे पहले ‘सहज उपलब्धता’ लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “इसके लिए इमारती संरचना और प्रौद्योगिकी के कारण आ रही बाधा दोनों को खत्म करने की जरूरत है।”
दृष्टिहीन कौस्तुभ तापल ने कहा कि इसके लिए सबसे पहले मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है।
मुंबई के रहने वाले 21 वर्षीय छात्र तापल ने आईएएनएस से कहा, “लोगों को नहीं पता कि कैसे प्रतिक्रिया देनी है..इस संबंध में जागरूकता लाना सबसे जरूरी है।”