खगड़िया, 28 सितंबर (आईएएनएस)| आपने शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं को भांग व गांजा चढ़ाते देखा-सुना होगा, लेकिन बिहार के खगड़िया जिले में एक देवी मंदिर ऐसा भी है, जहां अपनी मनोकामना पूर्ण होने की आस लिए श्रद्धालु देवी मां को भी दूध और गांजा चढ़ाते हैं।
खगड़िया, जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर धमारा रेलवे स्टेशन के पास स्थित इस मंदिर में मां दुर्गा के कात्यायिनी रूप की पूजा-अर्चना होती है।
मंदिर के पुजारी बिजेंद्र भगत ने आईएएनएस को बताया कि इस मंदिर के कात्यायिनी स्वरूप की चर्चा शिव पुराण और स्कंद पुराण में भी है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर मां सती की बाईं भुजा गिरी थी।
मंदिर संचालन समिति के सदस्य राजा मुरारी बताते हैं कि इस मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित पिंड की खोज चौथम राज के राजा मंगल सिंह मुरार शाही और उनके मित्र श्रीपत महाराज ने की थी। इसके बाद यहां मंदिर का निर्माण कराया गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, पशुपालक देवी मां की रोज पूजा-अर्चना करते हैं।
यहां गाय का पहला दूध देवी मां को चढ़ाने की परंपरा है, जिसका स्थानीय लोग आज भी निर्वहन करते हैं। लोगों को विश्वास है कि पशु का पहला दूध मां को चढ़ाने से दुधारू पशु पर कोई संकट नहीं आता। यहां देवी मां को गांजा भी चढ़ाया जाता है।
शक्तिपीठ के पुजारी कहते हैं कि वैसे तो आम दिनों में भी यहां श्रद्धालु आते हैं, लेकिन हर सोमवार और शुक्रवार को यहां श्रद्धालु विशेष रूप से जुटते हैं। ऐसी मान्यता है कि सप्ताह में दो दिन देवी मां खुद मंदिर में आती हैं। लोग उन्हें ‘वैरागन’ कहते हैं।
यहां मां के मंदिर के अलावा शिव मंदिर, हनुमान मंदिर और श्रीराधा-कृष्ण का मंदिर भी है। बाहर से आने वाले भक्तों के ठहरने के लिए धर्मशाला भी बनाई गई है।