नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने पूर्वी राज्यों में दूसरी हरित क्रांति के संबंध में किए जा रहे कार्यों की समीक्षा का दायित्व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-पटना को सौंपा है। सिंह ने संस्थान के 16वें स्थापना दिवस के मौके पर सोमवार को पटना में यह बात कही।
उन्होंने संस्थान से कहा कि वह दूसरी हरित क्रांति के क्षेत्र में हो रहे कार्यों की समीक्षा तथा इसमें आनेवाली विभिन्न कठिनाइयों से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को अवगत करवाता रहे, ताकि दूसरी हरित क्रांति के क्षेत्र में पूर्वी राज्य तीव्रता के साथ आगे बढ़ सकें। इस कार्य के लिए जो संसाधनों की आवश्यकता होगी, उसे उपलब्ध कराया जाएगा।
मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, उन्होंने कहा कि “पूर्वी राज्यों में हरित क्रांति के तहत अनाज, दलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ाने की तो संभावना है ही, साथ ही श्वेत क्रांति तथा नीली क्रांति में भी इन राज्यों में विकास की अपार संभावनाएं हैं। संस्थान इस संबंध में विस्तृत रूप से सभी राज्यों से परामर्श कर भारत सरकार को अवगत कराए।” पूर्वी क्षेत्र में यही एकमात्र संस्थान है जो खेती से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर कार्य कर रहा है।
मंत्री ने इस अवसर पर संस्थान द्वारा 343.84 लाख रुपए में बनाए गए कृषक छात्रावास को पूर्वी राज्यों के किसानों के लिए समर्पित किया। इस मौके पर कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले किसानों और कृषि संबंधी शोध कार्यों के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पत्रकारों को सम्मानित किया गया।
सिंह ने कहा कि सरकार सौर ऊर्जा के कृषि में उपयोग पर भी विशेष ध्यान दे रही है। पूर्वी क्षेत्र में साल भर में 250 से 300 दिन गर्म धूप खिली रहती है, जिसकी सौर ऊर्जा क्षमता 4.0 से 4.3 किलोवाट प्रति वर्गमीटर प्रतिदिन है।
सिंह ने कहा कि “पूर्वी क्षेत्र चावल, सब्जी एवं मीठे जल की मछलियों के उत्पादन में अग्रणी है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर चावल, सब्जी एवं मछली उत्पादन में क्रमश: 50 प्रतिशत, 45 प्रतिशत एवं 38 प्रतिशत की भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है। यदि इस क्षेत्र के समुचित विकास पर ध्यान दिया जाए तो यह क्षेत्र अनाज के साथ ही दलहन, तिलहन, फल-सब्जियों, दुग्ध एवं मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम है।”