न्यूयॉर्क, 1 मार्च (आईएएनएस)। पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में जीपीएस (ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम) उपग्रहों और लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले संचार उपकरणों के बीच सिग्नल बाधित हो सकते हैं, विशेष रूप से अधिक ऊंचाई पर। एक नए शोध में यह जानकारी सामने आई है।
इस शोध के तहत अनेक प्रयोग किए गए। उदाहरण के लिए, उत्तरी ध्रुव के ऊपर उड़ रहा विमान जमीन से सशक्त संचार के जरिए जुड़ा रहता है।
कैलिफोर्निया में नासा के जेट प्रणोदन प्रयोगशाला (जेपीएल) के एंथनी मैनुकी के मुताबिक, यदि इन सिग्नलों से विमान का संपर्क टूट गया तो उन्हें उड़ान का मार्ग बदलने की जरूरत पड़ेगी।
कनाडा में न्यू ब्रून्सविक विश्वविद्यालय के सहयोग में जेपीएल के अनुसंधानकर्ता आयनमंडल में अनियमितताओं पर शोध कर रहे हैं।
यह आयनमंडल प्लाज्मा नामक आवेशित कणों का एक आवरण है, जो भूतल से लगभग 350 किलोमीटर ऊपर है।
रेडियो दूरबीन का भी आयनमंडल से संपर्क टूट सकता है।
इन प्रभावों को समझने से खगोल विज्ञान के मापन को अधिक सटीक तरीके से समझा जा सकता है।
प्रमुख शोध लेखक एसायस श्यूम ने कहा, “हम पृथ्वी के निकट प्लाज्मा का अन्वेषण करना चाहते हैं और यह पता लगाना चाहते हैं कि जीपीएस द्वारा प्रसारित नैविगेशन संकेतकों के हस्तक्षेप के लिए कितनी प्लाज्मा अवरोधकों की जरूरत है।”
प्लाज्मा में अनियमितताओं के आकार से शोधकर्ताओं को इसके कारण के बारे में संकेत मिलेंगे, जिससे इनके कब और कहां घटित होने की संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है।
इस शोध को ‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ में प्रकाशित किया गया।