नई दिल्ली, | केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय 25 सितंबर को दिवंगत दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय जल संरक्षण और जल संवर्धन कार्यक्रम शुरू करेगा। नई दिल्ली में शुक्रवार को केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने मंत्रालय के निदेशक स्तर के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में यह जानकारी दी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उनके पास अनुभव और ज्ञान का विपुल भंडार है, जिसका वे मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के हित में उपयोग कर सकते है।
भारती ने अधिकारियों से विभिन्न विषयों जैसे बांधों के निर्माण में विलंब, जल संरक्षण की नई तकनीक, गंगा में प्रदूषण की रोकथाम, गंगा की अविरलता को सुनिश्चित करना, यमुना का प्रदूषण, देश में भू-जल के स्तर में गिरावट और विलुप्त जलधाराओं और नदियों का पता लगाने आदि के संबंध में उनके विचार मांगे।
मंत्री ने कहा कि ये सुझाव बंद लिफाफे में सीधे उनके पास भेजे जाएं जिसे वे स्वयं खोलकर पढेंगी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे नियमों की जकड़न से बाहर आकर निसंकोच अपने सुझाव दें। भारती ने इजरायल और आस्ट्रेलिया का उल्लेख करते हुए अधिकारियों से कहा कि वे दुनियाभर में अपनाई जा रही सिंचाई की नई तकनीक की जानकारी भी उन्हें दे सकते हैं।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने देश में नदियों के प्रदूषण पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “हर नदी में प्रदूषण से लड़ने की अपनी क्षमता भी होती है। बारिश के मौसम में वह एक तरह से स्नान करके अपना सारा कूड़ा कचरा साफ कर देती है। ये नदी का अपना एक पर्यावरण का आचरण होता है। हमने उसको खनन, बांधों और बिजली परियोजनाओं आदि के जरिए बाधित किया है। ऐसा नहीं कि ये सब चीजें जरूरी नहीं हैं, लेकिन ये सब नदी के अनुकूल होनी चाहिए थी। ऐसा नहीं होने से ही आज हम नदी प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं।”
गंगा संरक्षण अभियान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “गंगा देश की सभी नदियों का नेतृत्व करती है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि हम अन्य नदियों की अनदेखी कर रहे हैं। मुझे यमुना और अन्य प्रमुख नदियों के प्रदूषण की उतनी ही चिंता है जितनी गंगा की।”
देश के गिरते हुए भू-जल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए भारती ने कहा कि हमें इसे ऊपर उठाने के हर संभव प्रयास करने होंगे। उन्होंने ने विलुप्त हुई नदियों और जलधाराओं का पता लगाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे किसानों को अपनी भूमि की सिंचाई में बहुत मदद मिलेगी।
भारती ने भूजल का स्तर उठाने में वृक्षारोपण के महत्व का भी उल्लेख किया। पंजाब में यूक्लिप्ट्स के बड़े पैमाने पर हुए वृक्षारोपण से हुए नुकसान का उल्लेख करते हुए जल संसाधन मंत्री ने इस बात की और भी ध्यान दिलाया कि वृक्षारोपण करते समय सही वृक्षों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है।