कोलकाता, 15 मार्च (आईएएनएस)। दीदी के नाम से मशहूर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा उम्मीदवारों के चयन में कई स्तरीय रणनीति अपनाई है। पार्टी प्रचारकों से लेकर दिग्गज नेताओं, सिनेमा जगत और सांस्कृतिक क्षेत्र के लोगों को टिकट दिया गया है।
कोलकाता, 15 मार्च (आईएएनएस)। दीदी के नाम से मशहूर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा उम्मीदवारों के चयन में कई स्तरीय रणनीति अपनाई है। पार्टी प्रचारकों से लेकर दिग्गज नेताओं, सिनेमा जगत और सांस्कृतिक क्षेत्र के लोगों को टिकट दिया गया है।
पश्चिम बंगाल की लोकसभा की 42 सीटों में से कुछ सीटों पर ममता ने जमीनी स्तर के कुछ नेताओं को भी टिकट दिया है। इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं, दलितों और मुस्लिमों को टिकट दिया है।
टिकट बंटवारे में अपना पारंपरिक प्रयोग जारी रखते हुए उन्होंने राजनीति के नौसिखिए से लेकर सांस्कृतिक जगत से जुड़े लोगों और ग्लैमर वर्ल्ड से अभिनेत्रियों को भी टिकट दिया।
तृणमूल की सूची में 17 महिलाएं (41 प्रतिशत) और सात मुस्लिम उम्मीदवार शामिल हैं।
ममता ने राजनीतिक रूप से नौसिखिया रूपाली विश्वास को नादिया जिले के रानाघाट सीट से टिकट दिया, जिससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। विश्वास के पति और और तृणमूल विधायक सत्यजीत विश्वास की बदमाशों ने गोली मार कर हत्या कर दी। एक नवजात बच्चे की मां विश्वास अभी 25 साल की भी नहीं हैं कि चुनाव लड़ सकें। लेकिन नामांकन के वक्त वह 25 साल की हो जाएंगी।
राजनीतिक विश्लेषक उदयन बंदोपाध्याय ने कहा, “ममता बनर्जी दुनिया को बताना चाहती हैं कि तृणमूल की केवल वही सर्वेसर्वा हैं।”
लेकिन इसमें ममता का संदेश भी है। सत्यजीत विश्वास नादिया जिले के नेता थे और मतुआ समुदाय में उनका खासा प्रभाव था। मतुआ समुदाय हिंदू समुदाय में पिछड़ी जाति का माना जाता है। ये बांग्लादेश से आए शरणार्थी हैं। दक्षिण बंगाल के जिलों में इनकी आबादी करीब एक करोड़ होगी।
एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने नाम जाहिर न करने के अनुरोध के साथ कहा, “इस तरह विश्वास की पत्नी को उम्मीदवार बनाकर ममता ने लोकप्रिय नेता की हत्या से उपजी सहानुभूति का लाभ उठाने के साथ ही मतुआ समुदाय को लुभाने की कोशिश की है।”
उत्तर 24 परगना जिले के बोंगाइगांव से सांसद ममता बाला ठाकुर मतुआ समुदाय की कार्यकारी प्रमुख हैं। उन्हें दोबारा टिकट दिया गया है।
पूर्वी मिदनापुर की दो सीटों के लिए एक बार फिर पिता-पुत्र भरोसा जताया गया है। शिशिर अधिकारी कांठी से और दिव्येंदु अधिकारी तामलुक से लड़ेंगे।
दूसरी तरफ दो दिग्गज नेताओं मानस भूइयां और सुब्रत मुखर्जी को ऐसी सीटें दी गई हैं, जहां भाजपा चुनौती बनकर उभरी है। तृणमूल राज्यसभा सांसद भूइयां मिदनापुर से चुनाव लड़ेंगे। पहले यहां से दिग्गज अभिनेत्री संध्या राय ने चुनाव जीता था, लेकिन इस बार वह स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ रही हैं। इसी तरह सुब्रत मुखर्जी को मुनमुन सेन की जगह बांकुड़ा से टिकट दिया गया है।
मुनमुन सेन इस बार आसनसोल से लड़ेंगी, जहां उनके सामने भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो होंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि गैर बांग्लाभाषी मतदाताओं को लुभाने की रणनीति के तहत सेन को यहां भेजा गया है।
इसी तरह तेजतर्रार विधायक महुआ मोइत्रा को कृष्णानगर सीट से टिकट दिया गया है, जो कि भाजपा का पारंपरिक गढ़ रहा है। जेपी मार्गन की पूर्व उपाध्यक्ष मोइत्रा इस सीट के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं।
ममता ने इसके साथ ही दो बांग्ला अभिनेत्रियों को पहली बार टिकट दिया और वे सोशसल मीडिया में सुर्खियां बनी हुई हैं। नूर जहां को बशीरहाट से और मिमि चक्रवर्ती को जाधवपुर सीट से टिकट दिया गया है। दोनों अभिनेत्रियां फिल्मों में उत्तेजक और सेक्सी अदाओं के लिए चर्चा में रही हैं।
इसके अलावा कुछ सीटों पर सांसदों को दोबारा टिकट दिया गया है। इनमें बांग्ला अभिनेता दीपक अधिकारी(देव) को घाटल से, पुराने जमाने की अभिनेत्री शताब्दी राय को बीरभूम से और रंगमंच कलाकार अर्पिता घोष को बालुरघाट से टिकट दिया गया है।
पार्टी के पुराने वफादारों को उनकी सीट पर बरकरार रखा गया है। पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को बैरकपुर से, सौगत राय को दमदम से, कल्याण बंद्योपाध्याय को श्रीरामपुर से और सुदीप बंद्योपाध्याय को कोलकाता उत्तर से टिकट दिया गया है।