नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। पर्यावरण प्रदूषण(रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण(ईपीसीए) ने सोमवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) को लागू किया।
यह योजना वर्ष 2016 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के उच्च स्तर को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देश में 2017 में लागू की गई थी। इन उपायों को शहर में वायु गुणवत्ता की स्थिति को देखते लागू किया जाता है।
पंजाब व हरियाणा में प्रत्येक वर्ष अक्टूबर व नवंबर में पुआल जलाना और अप्रैल माह में गेहूं के भूसे को जलाना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अधिकार प्राप्त ईपीसीए को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कदम उठाना अनिवार्य है।
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (एसएएफएआर) के डेटा के अनुसार, सोमवार को राजधानी की वायु गुणवत्ता ‘खराब(पूअर)’ थी और यहां अगले तीन दिनों तक ऐसी ही वायु गुणवत्ता बने रहने की संभावना है।
जब वायु की गुणवत्ता ‘मोडरेट और पूअर’ के बीच होती है, तब लैंडफिल में कूड़े के जलाने पर पाबंदी लगाई जाती है, ईंट भट्टियों और उद्योगों, थर्मल पॉवर प्लांटों में सभी प्रदूषण नियंत्रक नियामक अपनाए जाते हैं।
नियम के अंतर्गत धूल पर नियंत्रण पाने के लिए निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि वर्ष 2005 के बाद पंजीकृत होने वाले ट्रकों को ही शहर में प्रवेश की अनुमति दी जाए।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, अगर वायु गुणवत्ता और ज्यादा खराब हो गई और यह ‘अत्यधिक खराब(वेरी पूअर)’ के स्तर तक पहुंच गई तो, डीजल जनरेटर सेट, होटलों में कोयला पर खाना बनाने पर रोक लगाई जाती है। इसके अलावा पार्किं ग शुल्क को बढ़ाया जाता है और बस व मेट्रों सेवाओं में इजाफा किया जाता है।
जीआरएपी के तहत, मीडिया संगठनों को श्वसन और हृदय रोगियों को प्रदूषण वाले क्षेत्रों में नहीं जाने और बाहर की गतिविधि नहीं करने की सलाह देने के लिए कहा जाता है।