नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में नरमी रहने के कारण भारत में लगातार पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती किए जाने से उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है। तेल विपणन कंपनियों ने शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती की। नई कटौती के बाद देश की राजधानी दिल्ली में इस महीने पेट्रोल 78 पैसे प्रति लीटर सस्ता हो गया है और डीजल का दाम 25 पैसे लीटर कम हो गया है। उधर, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस महीने कच्चे तेल के भाव में अब तक करीब आठ डॉलर प्रति बैरल की कमी आई है।
तेल विपणन कंपनियों ने शुक्रवार को दिल्ली और मुंबई में पेट्रोल के दाम में 15 पैसे जबकि कोलकाता में 14 पैसे और चेन्नई में 16 पैसे प्रति लीटर की कटौती की। वहीं, डीजल के दाम दिल्ली में 13 पैसे, कोलकाता में सात पैसे जबकि मुंबई और चेन्नई में 12 पैसे प्रति लीटर घट गए हैं।
इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के दाम लगातार दूसरे दिन की कटौती के बाद क्रमश: 72.08 रुपये, 74.78 रुपये, 77.74 रुपये और 74.87 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं। चारों महानगरों में डीजल के दाम भी घटकर क्रमश: 65.75 रुपये, 68.08 रुपये और 68.94 रुपये और 69.47 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में इन दो दिनों में पेट्रोल 20 पैसे लीटर जबकि डीजल 19 पैसे प्रति लीटर सस्ता हो गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इस महीने अब तक पेट्रोल 78 पैसे प्रति लीटर सस्ता हो गया है और डीजल का भाव भी 25 पैसे लीटर कम हो गया है।
अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार आईसीई पर शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड के अक्टूबर वायदा अनुबंध में 0.24 फीसदी की तेजी के साथ 57.52 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था। वहीं, न्यूयार्क मर्केंटाइल एक्सचेंज पर अमेरिकी लाइट क्रूड डब्ल्यूटीआई के सितंबर अनुबंध में 0.23 फीसदी की तेजी के साथ 52.66 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
हालांकि, पिछले महीने की तुलना में इस महीने बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड का भाव तकरीबन आठ डॉलर कम हो गया है क्योंकि पिछले महीने के आखिर में 31 जुलाई को ब्रेंट क्रूड का अक्टूबर डिलीवरी वायदा अनुबंध 65.17 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ था।
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट ( एनर्जी व करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने बताया, “तेल उत्पादक व निर्यातक देशों का समूह ओपेक द्वारा तेल उत्पादन में और कटौती करने का संकेत दिए जाने के कारण कीमतों में थोड़ी रिकवरी है लेकिन वैश्विक खपत मांग कमजोर रहने से बड़ी तेजी की संभावना कम है।”
गौरतलब है कि ओपेक द्वारा इस साल जनवरी से ही तेल के उत्पादन में रोजाना 12 लाख बैरल की कटौती की जा रही है।