अनूप कुमार
फैज़ाबाद में माया की सभा में गूंजा मुस्लिम और ब्रह्मण समर्थन का नारा दलित वोटर हाशिये पर
फैज़ाबाद । दलितों और पिछडो की पार्टी कही जाने वाली बसपा में अपना भविष्य और वर्तमान देखने वाले पिछड़ा और दलित समाज के लिए इस बार के चुनाव किसी चुनौती से काम नही है सवर्णो की पार्टी कही जाने वाली भाजपा ने जब दलितों के उत्थान का नारा देकर दलित वोट बैंक पर डोरे डाले तो दलित वोटो से सियासत करने वाली बसपा के लिए भी मुसीबते बढ़ गयी, विकास और सर्वसमाज को साथ लेकर चलने का नारा बुलंद करने वाले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने गुजरात के विकास मॉडल को आगे कर पहले ही तमाम सियासी दलों के राजनैतिक समीकरण बिगाड़ दिए थे ऐसे में मुजफ्फरनगर दंगो के दाग ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल सपा के लिए मुश्किलो का पहाड़ खड़ा कर दिया और प्रदेश का मुस्लिम वोटर इस चुनाव में सपा का विकल्प तलाशने में जुट गया जिसके बाद तो मुस्लिम मतों को अपने समर्थन में करने की होड़ मच गयी और इस होड़ में बसपा ने भी कोशिशे तेज़ कर दी है जिसकी नज़ीर रफैज़ाबाद की जनसभा में देखने को मिली जहां जनसभा दौरान मुस्लिम और ब्राह्मण वोटो को साधने की कोशिश जिले के नताओं से लेकर पार्टी सुप्रीमो मायावती भी करती नज़र आई, अगर बात पिछले चुनावो की की जाए तो बसपा ही ,वो ऐसा राजनैतिक दल है जिसकी चुनावी जनसभाओं का आगाज़ दलित विकास के नारो से शुरू होकर दलितों के हक़ हकूक की लड़ाई पर खत्म होती थी लेकिन बदले हुए चुनावी समीकरणो ने तमाम सियासी दलों के अजेंडे में शामिल मुद्दो से लेकर इन दलों की राजनीती का तरीका ही बदल दिया है फैज़ाबाद की जनसभा में भी इसका साफ़ असर देखने को मिला बसपा सुप्रीमो के आने से पहले जनसभा की शुरुआत करने आये ब्राह्मण नेता इंद्रा प्रताप तिवारी खब्बू ने ब्राह्मण मतदाताओ से बेहद मार्मिक अपील करते हुए बसपा प्रत्याशी के समर्थन में वोट माँगा खब्बू ने न सिर्फ बसपा सरकार के विकास का हवाला देकर मौजूद जनसमुदाय से बसपा प्रत्याशी की जिताने की अपील की बल्कि अपने को ब्राह्मणो के नेता बताते हुए अपने पुराने रिश्तो का हवाला देकर ब्राह्मण मतदाताओ पर भावनात्मक दबाव डालने की कोशिश की जिसके बाद मंच संभालने आये मुस्लिम नेता फ़िरोज़ खान गब्बर ने पार्टी के नेताओ द्वारा लिखी गयी स्क्रिप्ट पढ़ते हुए बसपा को ही मुस्लिमो का असली रहनुमा बताया जबकि जनसभा में भीड़ बढ़ाने के लिए बसपा का परमपरागत समर्थक दलित मतदाता पार्टी में अपने योगदान की बात सुनाने को तरसता दिखा फिर ये उम्मीद जगी की जब बहन मायावती आएँगी तो इन दलित मतदाताओ की उपयोगिता और पार्टी में उनके योगदान का जिक्र जरूर होगा ,कुछ ही देर बाद बहन मायावती का उड़नखटोला फैज़ाबाद के जी आई सी मैदान पर उतरा बहन कुमारी मायावती ज़िंदाबाद के नारो के बीच सुप्रीमो मंच पर पहुंची और अपना सम्बोधन शुरू , माया के चुनावी सम्बोधन की शुरुआत भी अल्पसंख्यक और ब्राह्मण मतदाताओ के गुणगान से हुआ करीब 45 मिनट के माया के भाषण में आने वाली सरकार में अल्पसंख्यक और ब्राह्मण वोटो की भूमिका पर गंभीर बयान बाज़ी हुई बात सिर्फ बसपा ही नहीं बहन मायावती ने भाजपा में भी ब्राह्मण नेताओ के साथ नाइंसाफी का आरोप लगाकर उनके प्रति अपनी संवेदना व्यकत की, वही मुजफ्फरनगर दंगो में प्रभावित मुस्लिम परिवारो के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाते हुए सपा सरकार पर जमकर ज़ुबानी तीर चलाये और सभा में मौजूद दलित समाज सब कुछ सुनता रहा और ये महसूस क्या ये वही दलितों की पार्टी है जो सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का नारा देती थी तमाम सियासी दलों पर जाति धर्म की राजनीति का आरोप लगाने वाली बसपा आज खुद जातिगत वोटो के सहारे कैसे हो सकती है ऐसे कई अनसुलझे सवाल है जिनका जवाब दलित मतदाता पूरी सभा के दौरान ढूंढता रहा काफी देर बाद मौजूद जनसमूह की भावनाओ का सम्मान करते हुए बहन मायावती ने दलितों को भी अपने भाषण में जगह दिया और दलितों के विकास का वादा भी किया जिससे कुछ देर के लिए ये ज़रूर महसूस हुआ की ये बसपा की जनसभा थी लेकिन जनसभा के आगाज़ से लेकर अंजाम तक मुस्लिम और ब्राह्मण वोटो को अपने पक्ष में करने की कोशिशो ने बसपा के उन समर्थको के मन में तमाम सवाल खड़े कर जनसभा में पार्टी के लिए भीड़ बढ़ाने का काम करते है और मतदान केंद्र पर वोट …