धर्मशाला, 2 अक्टूबर – आर्चबिशप डेमंड टूटू ने कहा कि वे इस बात से शर्मिदगी महसूस कर रहे हैं कि उनके देश ने केप टाउन में 13 से 15 अक्टूबर के बीच प्रस्तावित नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानितों के 14वें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दलाई लामा को दक्षिण अफ्रीका का वीजा देने से इनकार कर दिया। केप टाउन में बुधवार को जारी एक बयान में टूटू ने कहा, “मैं अपनी सरकार की इस चाटुकारिता से शर्मिदा हूं।”
उनका यह बयान ईरान के नोबल शांति पुरस्कार विजेता शिरिन एबादी द्वारा टूटू की चुप्पी पर सवाल उठाए जाने के 24 घंटे के भीतर आया है। एबादी ने दलाई लामा को वीजा नहीं दिए जाने के विरोध नहीं करने पर सवाल उठाया था।
एबादी इन दिनों हिमाचल प्रदेश के इस कस्बे के दौरे पर अमेरिका की नोबल विजेता जूडी विलियम्स के साथ आए हुए हैं। विलियम्स ने कहा कि वह टूटू की चुप्पी पर हैरान हैं।
एबादी ने कहा, “मैं जानता हूं कि वे सरकार का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन वे हम जैसों की तरह अपने विचार सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं।”
विलियम्स ने कहा, “हमे यह नहीं भूलना चाहिए कि एक तानाशाह सरकार के खिलाफ चुप्पी साधने वाला तानाशाही का समर्थक होता है।”
दक्षिण अफ्रीका ने पिछले महीने दलाई लामा से इस वर्ष अपनी यात्रा टालने का आग्रह किया था।
1984 में नोबल शांति पुरस्कार पाने वाले टूटू ने कहा कि वह यह विश्वास नहीं कर सकते कि ‘दक्षिण अफ्रीका सरकार तीन बार गलती कर सकती है।’
उन्होंने अपने बयान में कहा, “जब दलाई लामा को हमारी सरकार ने मेरे 80वें जन्मदिन पर आने से रोक दिया तब मैंने चीनी दबंगई के आगे घुटने टेकने की निंदा की थी और एएनसी सरकार को यह याद दिलाया था कि वह मेरा प्रतिनिधित्व नहीं करती।”