नई दिल्ली, 31 मई (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने रविवार को आरबीआई से मुख्य दरों में कटौती करने और नरम मौद्रिक नीति अपनाने की गुजारिश की है।
फिक्की अध्यक्ष ज्योत्स्ना सूरी ने कहा, “विकास की गति और रोजगार बढ़ाने के लिए पूंजी खर्च बढ़ाया जाना जरूरी है।”
उन्होंने कहा, “अवसंरचना में जहां सरकारी निवेश को बढ़ाया जा रहा है, वहीं क्षमता का कम उपयोग होने तथा मांग कम रहने के कारण निजी निवेश अब भी नहीं हो रहा है।”
फिक्की के मुताबिक, कई चक्रों के सर्वेक्षण से पता चलता है कि निवेशक निवेश करने में सकुचा रहे हैं, क्योंकि उनके मुताबिक कर्ज की उपलब्धता और लागत एक प्रमुख चिंता का विषय है।
फिक्की ने कहा कि वित्तीय संस्थानों द्वारा कर्ज दर घटाई जानी चाहिए, जिस पर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली और मुख्य आर्थिक सलाहकार भी जोर दे चुके हैं।
ज्योत्स्ना ने कहा, “महंगाई नियंत्रण में आ चुकी है और आरबीआई को रेपो दर में कम से कम 50 आधार अंकों की कटौती करनी चाहिए, ताकि निजी निवेश में तेजी आए और आवासीय, वाहन तथा उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु बाजार में मांग बढ़े।”
ज्योत्स्ना सूरी ने नकद आरक्षी अनुपात में भी 50 आधार अंकों की कटौती करने की वकालत की।
उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता महंगाई दर जहां करीब 40 फीसदी घटकर अप्रैल में 4.87 फीसदी दर्ज की गई है, वहीं थोक महंगाई दर अप्रैल में नकारात्मक 2.65 फीसदी रही है, जो एक महीने पहले भी नकारात्मक 2.33 फीसदी थी।
इस वर्ष मार्च महीने में औद्योगिक उत्पादन सिर्फ 2.1 फीसदी बढ़ पाया।