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 दक्षिण चीन सागर पर अंतर्राष्ट्रीय कानून का आदर करें : भारत, अमेरिका (लीड-1) | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

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दक्षिण चीन सागर पर अंतर्राष्ट्रीय कानून का आदर करें : भारत, अमेरिका (लीड-1)

नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)। दक्षिण चीन सागर विवाद पर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले के मद्देनजर भारत व अमेरिका ने संबंधित सभी पक्षों से अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करने की अपील की।

मंगलवार को द्वितीय भारत-अमेरिका रणनीतिक व वाणिज्यिक वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने दक्षिण चीन सागर सहित समस्त क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता, उड़ान भरने की स्वतंत्रता तथा वैध निर्बाध व्यापार पर जोर दिया।

बयान के मुताबिक, “उन्होंने (भारत व अमेरिका) अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति परम आदर का आग्रह किया, जैसा कि समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कें संकल्प (यूएनसीएलओएस) में दर्शाया गया है।”

संयुक्त बयान में कहा गया है, “उन्होंने दोहराया कि राष्ट्रों को विवाद शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहिए और ऐसी किसी भी गतिविधि से बचना चाहिए, जिससे विवाद अधिक उलझता हो तथा शांति व स्थिरता पर प्रभाव पड़ता हो।”

उल्लेखनीय है कि हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने 12 अगस्त को अपने फैसले में कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीन ने फिलीपींस के अधिकारों का उल्लंघन किया, जो जहाजों के लिए दुनिया के सबसे व्यस्त मार्गो में से एक है।

न्यायाधिकरण ने चीन पर सागर में कृत्रिम द्वीप का निर्माण तथा क्षेत्र में चीनी मछुआरों को न रोकककर फिलीपींस के मछली पकड़ने व पेट्रोलियम खोज के कार्यो में हस्तक्षेप का आरोप लगाया।

फैसले में कहा गया है कि दक्षिण चीन सागर के स्कारबोरो शोआल में मछली पकड़ना फिलीपींस का पारंपरिक अधिकार था और चीन ने इन इलाकों में उसे रोककर हस्तक्षेप किया।

चीन का दक्षिण चीन सागर में स्पार्टले तथा पारासेल द्वीप समूह को लेकर क्षेत्र के अन्य देशों के साथ विवाद है।

स्पार्टले द्वीप समूह पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान व वियतनाम जैसे देश दावा कर रहे हैं, जबकि पारासेल द्वीप समूह पर वियतनाम व ताइवान भी दावा कर रहे हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में एक व्याख्यान में भी चीन को कड़ा संदेश देते हुए आगाह किया कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए।

उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को मानने में भारत का उदाहरण दिया।

केरी ने कहा, “भारत का बांग्लादेश के साथ लगी समुद्री सीमा पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को स्वीकारने का निर्णय वास्तव में दूसरे देशों द्वारा प्रस्तुत अन्य विकल्पों से अलग है।”

उन्होंने कहा, “यह ऐसी नीति है, जो कानून के शासन का समर्थन करती है और मेरी समझ से यह आत्मविश्वास और एक जिम्मेदारी के भाव को प्रदर्शित करता है।”

केरी ने कहा, “यह एक नमूना है कि किस तरह कोई ऐसा विवाद जो संभवत: खतरनाक हो, उसे शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है। इसमें दक्षिण चीन सागर भी है, जहां अमेरिका, चीन और फिलीपींस से लगातार अपील कर रहा है कि वे न्यायाधिकरण के हाल के अंतिम और कानूनी रूप से दोनों पक्षों पर बाध्यकारी फैसले को स्वीकार करें।”

उन्होंने कहा कि यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के मौजूदा नियमों को माना जाए और उस व्यवस्था के महत्व को कमतर नहीं आंका जाए।

भारत तथा अमेरिका ने संपर्क के क्षेत्रों में भी सहयोग को मजबूत करने का फैसला किया।

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