नई दिल्ली, 16 मई (आईएएनएस)। देश की थोक महंगाई दर लगातार 17 महीने तक नकारात्मक दायरे में रहने के बाद अप्रैल में सकारात्मक दायरे में आते हुए 0.34 फीसदी दर्ज की गई, जो मार्च में नकारात्मक 0.85 फीसदी और एक साल पहले समान अवधि में नकारात्मक 2.43 फीसदी थी। यह जानकारी सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े में दी गई।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) या थोक महंगाई में वृद्धि का मुख्य कारण दाल, आलू, चीनी, खाद्य तेल, अंडे, मांस, मछली और दूध की कीमतों में वृद्धि है।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, प्राथमिक वस्तुओं, ईंधन-बिजली और विनिर्मित उत्पादों में माह-दर-माह आधार पर महंगाई क्रमश: 2.1 फीसदी, 1.7 फीसदी और 0.8 फीसदी बढ़ी।
साल-दर-साल आधार पर आलोच्य अवधि में प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई 2.34 फीसदी और विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई 0.71 फीसदी बढ़ी, वहीं ईंधन उपसूचकांक में 4.83 फीसदी गिरावट आई।
पेट्रोल 4.18 फीसदी और डीजल 3.94 फीसदी तथा रसोई गैस 18.4 फीसदी सस्ता हुआ।
चाय, दाल, पाउल्ट्री और फलों तथा सब्जियों की महंगाई के कारण खाद्य महंगाई दर 4.23 फीसदी रही, जो मार्च में 3.73 फीसदी थी। खनिज मूल्यों में 27.2 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।
दालों की कीमत साल-दर-साल आधार पर 36 फीसदी और आलू की कीमत 35.45 फीसदी बढ़ी। चीनी इस दौरान 16.07 फीसदी महंगा हुआ। खाद्य तेल 5.61 फीसदी महंगा हुआ।
मंत्रालय ने फरवरी महीने के लिए थोक महंगाई दर को नकारात्मक 0.91 फीसदी से संशोधित कर नकारात्मक 0.85 फीसदी कर दिया।
उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) या उपभोक्ता महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर 5.39 फीसदी हो गई, जो मार्च में 4.83 फीसदी थी।
महंगाई दर में यह वृद्धि और मानसून के आगमन में होने वाली देरी को देखते हुए अगले महीने के शुरू में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में दर में कटौती की उम्मीद नहीं की जा सकती है।