नई दिल्ली, 15 जून (आईएएनएस)। थोक महंगाई दर अब भी नकारात्मक दायरे में है, हालांकि यह खाद्य कीमतें बढ़ने के कारण थोड़ा बढ़कर मई में नकारात्मक 2.36 फीसदी रही, जो अप्रैल में नकारात्मक 2.65 थी। यह जानकारी सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से मिली।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर मापी जाने वाली महंगाई दर मई 2014 में 6.18 फीसदी थी।
आलोच्य अवधि में खाद्य महंगाई दर 3.8 फीसदी रही। इस दौरान दाल 22.8 फीसदी और प्याज 20.41 फीसदी महंगा हुए। आलू हालांकि इस दौरान 51.95 फीसदी सस्ता हो गया।
फल, दूध और गेहूं जैसे खाद्य पदार्थ भी महंगा हुए। फल 8.65 फीसदी, दूध 6.85 फीसदी और गेहूं 2.79 फीसदी महंगा हुए।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, ईंधन इस दौरान 10.41 फीसदी सस्ता हो गया। रसोई गैस 5.18 फीसदी, पेट्रोल 11.29 फीसदी और डीजल 11.62 फीसदी सस्ता हुआ।
विनिर्मित वस्तुओं की कीमत 0.64 फीसदी घट गई। प्राथमिक वस्तुओं की कीमत में 0.77 फीसदी गिरावट रही।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, लगातार सात महीने तक गिरावट दर्ज करने के बाद मई में पहली बार थोक महंगाई दर बढ़ी है।
थोक महंगाई दर अक्टूबर 2014 में 1.66 फीसदी, नवंबर में नकारात्मक 0.17 फीसदी, और उसके बाद क्रमश: नकारात्मक 0.5 फीसदी, नकारात्मक 0.95 फीसदी, नकारात्मक 2.06 फीसदी, नकारात्मक 2.33 फीसदी और नकारात्मक 2.65 फीसदी रही।
उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता महंगाई दर में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर मापी जाने वाली उपभोक्ता महंगाई दर मई में 5.01 फीसदी रही, जो अप्रैल में 4.8 फीसदी थी।
मई 2014 में उपभोक्ता महंगाई दर 8.33 फीसदी थी।
उद्योग संघों ने महंगाई दर में वृद्धि का हवाला देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक से दरों में कटौती की उम्मीद जताई।
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “इससे रिजर्व बैंक को दरों में कटौती जारी रखने और औद्योगिक उत्पादन में तेजी के नवांकुर को मजबूती देने का प्रोत्साहन मिलना चाहिए।”
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्स्ना सूरी ने कहा, “मानसूनी बारिश के इस साल औसत से कम रहने के पूर्वानुमान के बाद भी खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में गिरावट का सिलसिला कमोबेश जारी रहा है।”
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कहा कि विनिर्माण महंगाई दर में लगातार चली आ रही गिरावट से क्षेत्र की कीमत निर्धारण करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
एसोचैम अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा, “महंगाई दर के सुविधाजनक दायरे में रहने से अब बुनियादी वस्तुओं में तेजी लाने और माध्यमिक वस्तु क्षेत्रों की विकास दर कम करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।”