पटना, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। भूकंप के बाद पिछले चार दिनों से नेपाल में फंसे 30 सदस्यीय एक दल बिहार की राजधानी पटना पहुंचा। इस दल में 17 देशों के 26 विदेशी हैं। पटना पहुंचते ही विदेशी सैलानियों के मुंह से एक ही वाक्य निकला ‘थैक्स गॉड! बुद्ध की ज्ञानस्थली पहुंच गए, राधे-कृष्ण बच गए।’
नेपाल से लौटकर बिहार पहुंची ऋषिकेश योगशाला की इंस्ट्रक्टर डॉ़ साधना गुप्ता कहती हैं, “चार दिनों से ऐसा लग रहा था जैसे पल-पल मौत से नजदीकी बढ़ रही है। लगातार भूकंप के झटके आ रहे थे। हर झटके के बाद लगता था जैसे एक नई जिंदगी मिली, पर सुकून तब मिला जब भारत सरकार की मदद से रक्सौल बोर्डर पहुंचे।”
नेपाल में भूकंप झेल चुके लोग कुछ ऐसा ही महसूस कर रहे थे। इन्हीं लोगों में कई देशों के पर्यटक भी शामिल थे, जिन्हें पटना लाया गया। जिंदगी बच जाने की खुशी तो थी, मगर खौफ अभी भी था।
कनाडा के पोवेल ने भगवान को धन्यवाद देते हुए कहा, “थैंक्स गॉड, राधे-कृष्ण बच गए। पहुंच गए बुद्ध की ज्ञानस्थली।”
वे कहते हैं कि योग का प्रशिक्षण चल रहा था अचानक जमीन स्प्रिंग की तरह हिलने लगा। एक समय तो ऐसा लगा कि मानों अब हमलोग नहीं बचेंगे।
पोवेल ने बताया, “भूंकप के समय लोग चीख रहे थे, रो रहे थे, चिल्ला रहे थे। घर से दो दिनों तक कोई संपर्क नहीं हो रहा था।”
अमेरिका की रहने वाली साधना गुप्ता बताती हैं, “हमलोग ऋषिकेष से नेपाल के पोखरा गए थे। हमारे साथ 50 योग के छात्र-छात्राएं थे। कुछ छात्र तो जैसे-तैसे निकल गए। अभी हमलोग 30 हैं। भारत सरकार की पहल पर मंगलवार को पोखरा से चले और बुधवार की रात यहां पहुंचे।”
ब्रिटेन निवासी विल्टन रैगन जोश ने कहा, “हमलोग योग के प्रशिक्षण के लिए पोखरा गए थे। परंतु पिछले चार दिनों में 40 बार मौत से सामना किया। डर इतना की खाने तक का किसी का मन नहीं कर रहा था। 25 को भूकंप का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। घरों से संपर्क टूट गया। जब भारत सरकार ने मदद शुरू की, तब सभी लोगों को जिंदा घर जाने की आस जगी।”
उन्होंने कहा कि यह दूसरा जीवन मिला है, बिहार का यह प्यार याद रहेगा।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को 30 सदस्यीय एक दल बिहार पर्यटन विकास विभाग की एक बस से पटना पहुंचे हैं। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पटना पहुंचे विदेशियों में फिनलैंड, ब्राजील, पुर्तगाल, जापान, इरान समेत 17 देशों के 26 महिला-पुरुष विदेशी हैं। इन सभी को एक होटल में ठहराया गया है। इन्हें जहां जाना होगा, उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा।