अगरतल्ला,30 अप्रैल (आईएएनएस)। त्रिपुरा में शनिवार को जिला अदालत ने एक विधायक की हत्या के आरोप में 12 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। 33 साल पहले कांग्रेस के एक विधायक और उसके सहयोगी की हत्या कर दी गई थी। बताया जाता है कि आरोपी सत्तारूढ़ माकपा के समर्थक थे।
जिला न्यायालय एवं पश्चिम त्रिपुरा के सत्र न्यायाधीश सत्य ब्रत दत्ता ने भरी अदालत में यह फैसला सुनाया। 7 अप्रैल, 1983 को कांग्रेस विधायक परिमल साहा और उसके सहयोगी जितेन्द्र साहा की हत्या के अरोप में सभी 12 आरोपियों को आजीवन करावास की सजा सुनाई गई।
विशेष लोक अभियोजक सम्राट कर भौमिक ने आईएएनएस को बताया कि त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने हाल ही में जिला न्यायालय को मामले की पुन: खोज-बीन तथा इस सनसनीखेज हत्या की जांच कर, न्यायिक प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया था।
उन्होंने कहा कि शुरू में 24 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे लेकिन उनमें से सात की मौत हो गई, जिसमें ड्राइवर माफिज मिया फरार हो गया था, जबकि पांच को बरी कर दिया गया था।
भौमिक ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अपराधियों को उनके प्राकृतिक मृत्यु तक जेल में ही रहना होगा।
बचाव पक्ष के वकील रघुनाथ मुखर्जी ने कहा कि फैसले के खिलाफ जल्द ही त्रिपुरा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की जाएगी।
दोषियों में एक बैंक अधिकारी और एक सरकारी शिक्षक हैं जिनकी उम्र 55 और 65 के बीच है।
विपक्षी पार्टियां कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने फैसले का स्वागत किया है।
उल्लेखनीय है कि साहा, पश्चिमी त्रिपुरा में चारीलाम विधानसभा सीट से विधायक थे। जितेन्द्र साहा की कथित तौर पर 7 अप्रैल, 1983 को बिशालगढ़ पुलिस थाने के तहत उनके कार्यालय पर हत्या कर दी गई थी।