वैसे तो अधिकांश घरों में लोग शौकिया तौर पर तोता पालते हैं, लेकिन मराठापारा के भोंसले परिवार ने मिट्ठ को बेटे की तरह पालकर रखा है।
इस मिट्ठ के पालक चिंतामणिराव भोंसले बताते हैं कि 25 साल पहले जब वह नगरी में डिप्टीरेंजर के पद पर पदस्थ थे तब एक दिन उनके क्वार्टर के सामने से एक कुत्ता अपने मुंह में तोते के बच्चे को दबाकर भाग रहा था। इस घटना को देखकर वह अपने आप को नहीं रोक पाए, उन्होंने तुरंत दौड़कर कुत्ते के मुंह से उस तोते को बचाया और घर लाकर उसका इलाज किया। जब वह नौकरी से तबादले में धमतरी आए तो साथ में मिट्ठ को भी साथ ले आए। परिवार के अन्य सदस्यों की तरह मिट्ठ भी परिवार का एक सदस्य बन गया।
इस मिट्ठ को पूरे परिवार के लोग मिट्ठ बेटे के नाम से पुकारते हैं। घर में जब कोई बाहरी व्यक्ति घर में आता है तो मिट्ठ इंसान की तरह आवाज निकालकर घर के लोगों को बताता है कि बाहर कोई आया है।
मिट्ठू भोंसले को पापा और उनकी पत्नी को मम्मी कहकर पुकारता है। जब मिट्ठ उनके घर आया उसी साल भोंसले परिवार में एक बेटे का भी जन्म हुआ था। तब से परिवार मिट्ठ को भी अपने बच्चों की तरह पाल रहा है। इस वर्ष अप्रैल माह में भोंसले परिवार में एक नहीं दो का जन्मदनि मनाया गया, जिसमें एक मिट्ठ भी शामिल था। गुरुवार को मिट्ठ के जन्मदिन पर पूरे घर को सजाया गया था, केक काटे गए और आसपास के लोग भी इस खुशी में सहभागी बने।