हैदराबाद, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। साल 2016 खत्म होने वाला है। यह देश के नवीनतम राज्य तेलंगाना के विकास का दूसरा साल है। गठन के इतने कम समय के अंदर तेलंगाना ने विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है।
हैदराबाद, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। साल 2016 खत्म होने वाला है। यह देश के नवीनतम राज्य तेलंगाना के विकास का दूसरा साल है। गठन के इतने कम समय के अंदर तेलंगाना ने विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है।
राजनीतिक स्थिरता, कानून और व्यवस्था की अच्छी दशा व अच्छे मानसून की वजह से अतिरिक्त राजस्व वाले राज्य के लिए साल अच्छा रहा।
आंध्र प्रदेश से अलग होकर 2 जून, 2014 को तेलंगाना अस्तित्व में आया। तेलंगाना ने बीते ढाई वर्षो में किए गए अपनी पहलों से राष्ट्र का ध्यान आक र्षित किया है।
तेलंगाना ने कई कल्याणकारी योजनाओं पर 30,000 करोड़ रुपये (4.5 अरब डॉलर) वार्षिक खर्च कर देश में नंबर वन राज्य होने का दावा किया है।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये की लागत से एक महत्वाकांक्षी योजना ‘मिशन ककातिया’ शुरू की, जिसका उद्देश्य पांच सालों में 46,000 से अधिक तालाबों को बहाल करना है।
इस मौसम में अच्छी बारिश होने से योजना अच्छा परिणाम देती हुई दिख रही है। पिछले वित्तीय वर्ष में 8,000 तालाबों की बहाली का कार्य किया गया। इसके बाद सरकार ने मौजूदा वित्तवर्ष में 9,000 तालाबों के पुनरुद्धार का लक्ष्य तय किया है, जो 31 मार्च 2017 को खत्म हो रहा है।
सरकार का एक और महत्वाकांक्षी कार्यक्रम मिशन भागीरथ है। इसके तहत सभी घरों को पाइप के जरिए पीने का पानी पहुंचाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त में अपनी पहली तेलंगाना यात्रा के दौरान इस परियोजना के प्रथम चरण का उद्घाटन किया था।
42,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना में 150,000 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने के साथ ही सरकार की ऑप्टिकल फाइबर बिछाने की योजना है। इससे हर घर को ब्रॉडबैंड की सुविधा दी जा सकेगी। इसके जरिए सरकार अपने डिजिटल तेलंगाना के लक्ष्य को पूरा करना चाहती है।
तेलंगाना आंदोलन के नेता के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने आंध्र प्रदेश के विभाजन से पहले हमेशा से इलाके के साथ हुई नाइंसाफी को उजागर किया। इसमें खास तौर से सिंचाई के क्षेत्र में राज्य के साथ भेदभाव का मुद्दा था। ऐसे में आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि तेलंगाना के पहले मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने बड़े स्तर पर कुछ सिंचाई परियोजनाएं शुरू की, जिससे राज्य कृष्णा और गोदावरी नदियों के जल के अपने हिस्से का इस्तेमाल कर सके।
गोदावरी नदी पर परियोजना के मकसद से तेलंगाना ने अंतर-राज्यीय विवादों को समाप्त करने के लिए महाराष्ट्र के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
हालांकि, कृष्णा नदी के जल के बंटवारे को लेकर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के साथ समस्याएं बनी हुई हैं।
राज्य गठन के समय सभी तरह की आशंकाओं को कुछ तिमाही में दरकिनार करते हुए तेलंगाना ने बिजली की किल्लत से छुटकारा पा लिया।
इसने कुछ बड़ी बिजली परियोजनाओं का शुभारंभ किया, जिसकी अनुमानित लागत 90,000 करोड़ रुपये है। इससे राज्य को 20,000 मेगावाट बिजली साल 2018 के अंत तक मिलने लगेगी। राज्य की मौजूदा क्षमता 4,365 मेगावाट है।
तेलगांना के विकास की मुहिम को राजधानी हैदराबाद से संबल मिल रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के इस केंद्र में दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी एप्पल अपना नया कार्यालय खोलने जा रही है। एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टिम कुक मई में विकास केंद्र की शुरुआत करने के लिए यहां आए थे। इस केंद्र से 4000 नौकरियां सृजित होंगी।
चंद्रशेखर राव के पुत्र और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के. टी. रामाराव इस बात से खुश हैं कि शीर्ष पांच प्रौद्योगिकी कंपनियों में से चार के अमेरिका से बाहर स्थित बड़े कार्यालय हैदराबाद में हैं। इनमें माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और अमेजन शामिल हैं।
शहर ने साल 2015-16 में 75,070 करोड़ रुपये का आईटी निर्यात कर 13.26 फीसद वृद्धि दर हासिल किया। इसने साल में 35,000 नई नौकरियों का सृजन किया। इस तरह कुल कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 407,385 हो गई।
के.टी. रामाराव ने बताया कि जब तेलंगाना का गठन हुआ तब राज्य का आईटी निर्यात 57,000 करोड़ रुपये था।
तेलंगाना को नई औद्योगिक नीति बनाकर निवेशकों के प्रस्तावों को समय से मंजूरी देने के लिए भी सराहना मिली है।
नई नीति के तहत राज्य ने अब तक 2,929 निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इससे 49,463 करोड़ के निवेश से 195,000 लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि 1,138 उद्योगों ने उत्पादन शुरू कर दिया है।
इस पहल के बल पर तेलंगाना को ‘कारोबार करने में आसानी’ के लिहाज से आंध्र प्रदेश के साथ संयुक्त रूप से शीर्ष स्थान मिला। यह तेलंगाना के लिए बड़ी छलांग है जो पिछले साल 13वें स्थान पर था।
यह साल तेलंगाना के मानचित्र को जिले के साथ पुनर्गठित करने का भी गवाह बना। इसमें जिलों की संख्या 10 से बढ़कर 31 हो गई। ज्यादा जिले बनाने की आलोचनाओं पर मुख्यमंत्री ने शासन में सुधार लाने और कल्याणकारी योजनाओं के तहत तय लक्ष्य हासिल करने में सक्षम होने की बात कह नए जिले बनाने का बचाव किया।