नई दिल्ली, 19 मई (आईएएनएस)। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने केदारनाथ और बद्रीनाथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गतिविधियों के प्रसारण पर रविवार को कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि यह चुनावी आदर्श आचार संहिता का एक स्पष्ट उल्लंघन था, क्योंकि मतदाता लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के दौरान प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने निर्वाचन आयोग पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया।
नई दिल्ली, 19 मई (आईएएनएस)। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने केदारनाथ और बद्रीनाथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गतिविधियों के प्रसारण पर रविवार को कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि यह चुनावी आदर्श आचार संहिता का एक स्पष्ट उल्लंघन था, क्योंकि मतदाता लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के दौरान प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने निर्वाचन आयोग पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री द्वारा संवाददाता सम्मेलन के दौरान सट्टेबाजी के बारे में बात करने के लिए भी उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने इसे अनधिकृत गतिविधि को बढ़ावा देना करार दिया।
निर्वाचन आयोग को लिखे एक पत्र में नायडू ने कहा कि बद्रीनाथ और केदारनाथ यात्रा के दौरान मोदी की सभी निजी गतिविधियां समाचार चैनलों पर लगातार प्रसारित की गईं, जो आदर्श आचार संहिता का एक स्पष्ट उल्लंघन है, और यह परोक्ष प्रचार, किसी व्यक्ति की धार्मिक आस्था के जरिए मतदाताओं को प्रभावित करना और उसकी निजी धार्मिक गतिविधियों का सार्वजनिक प्रदर्शन है।
उन्होंने कहा कि ईसी मूकदर्शक रहा है, और इससे यह सार्वजनिक धारणा बलवती होती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के लिए इसका नियम-कानून अलग है।
तेदेपा प्रमुख ने कहा कि यदि मोदी की गतिविधियों का प्रसारण नहीं रुकता है, तो यह एमसीसी का उल्लंघन है, जिसे रोकना आयोग का कर्तव्य है।
नायडू ने कहा, “इसलिए मैं भारत निर्वाचन आयोग से अनुरोध करता हूं कि इस तरह का भ्रामक, अनुचित और अनैतिक प्रचार रोका जाए और सभी संबंधित लोगों को निर्देश दिया जाए कि वे ऐसी गतिविधि से बाज आएं, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से मतदाताओं को प्रभावित करती हो। इसके साथ ही संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाए कि वे आदर्श आचार संहिता का सख्त अनुपालन सुनिश्चित कराएं।”
उन्होंने मोदी के शुक्रवार के संवाददाता सम्मेलन का भी जिक्र किया है, जहां उन्होंने कहा था कि “2014 के लोकसभा चुनाव में जिन लोगों ने सट्टा बाजार के अनुमानों के आधार पर एक खास पार्टी पर बड़ा दांव लगाया था, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा था।”
नायडू ने पत्र में कहा है, “यह चकित करने वाला है कि एक लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री एक अवैध पेशे का जिक्र कर रहा है, जो एक तरह से देश में अनधिकृत कारोबार को समर्थन देना और बढ़ावा देना है।”
पत्र में मोदी के चार भाषणों और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के एक भाषण के लिए दोनों को दिए गए क्लीन चिट पर निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा द्वारा कथित तौर पर व्यक्त किए गए विचार का भी जिक्र है।
पत्र में कहा गया है, “अल्पमत के निर्णय पर विचार न कर ईसीआई द्वारा दिखाई गई कठोरता मनमाना है और निर्वाचन आयुक्त के पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है। यह सांस्थानिक ईमानदारी में स्पष्ट गिरावट को दर्शाता है।”