Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 ..तुमको न भूल पाएंगे (डालमिया पर विशेष) | dharmpath.com

Friday , 31 January 2025

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » फीचर » ..तुमको न भूल पाएंगे (डालमिया पर विशेष)

..तुमको न भूल पाएंगे (डालमिया पर विशेष)

September 21, 2015 10:21 pm by: Category: फीचर Comments Off on ..तुमको न भूल पाएंगे (डालमिया पर विशेष) A+ / A-

dalmiaदेश के खेल पदाधिकारियों के प्रति सामान्य में लोगों की धारणा मुंह बिचकाने वाली ही ज्यादा होती है। खेलों का इन महानुभावों ने बेड़ा गर्क जो किया हुआ है। परंतु कुछ ऐसे अपवाद भी इसी देश में हैं जिनको खिलाड़ी और खेल प्रेमियों से समान आदर और प्यार मिला है। बताने की जरूरत नहीं दोस्तों कि बीसीसीआई के सदर जगमोहन डालमिया उन विरल शख्सियतों में एक रहे है।

डालमिया का देहावसान भारतीय क्रिकेट के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं। भयावह अस्वस्थता के बावजूद पिछले दिनों बीसीसीआई के दोबारा सर्वसम्मति मुखिया निर्वाचित होने वाले जग्गू दादा ने 33 बरस पहले देश में क्रिकेट संचालित करने वाली इकाई में प्रवेश के साथ ही भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदलने और उसे आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए जो अंशदान किया उसे कोई जल्दी भूल नहीं सकेगा।

बोर्ड को रंक से राजा बनाने और उसे दुनिया की सबसे समृद्ध राष्ट्रीय खेल इकाई के रूप में स्थापित करने वाले इस मारवाड़ी उद्योगपति को ही इसका भी श्रेय दिया जाएगा कि उन्होंने खिलाड़ियों के हितों का भी उतना ही ध्यान रखा।

आज भारतीय क्रिकेटर बुनियादी स्तर पर लंबा चौड़ा पारिश्रमिक और भत्ते के अधिकारी भी उन्हीं की वजह से हैं और हां, अपने प्रथम कार्यकाल के दौरान उन्होंने ही पूर्व खिलाड़ियों की पेंशन भी शुरू की। बोर्ड के अन्य मुखिया पद पर आसीन लोगों की कार्य शैली के विपरीत डालमिया कामकाज में पारदर्शिता के किस कदर कट्टर समर्थक थे, यह उनका एक अलग ही वैशिष्ट्य था।

अस्सी और नब्बे के दशक के दौरान उनसे अक्सर भेंट होती रहती। जब भी मिलते, पूरी आत्मीयता से पूछते, कोई दिक्कत तो नहीं? पहले रिलायंस कप और फिर 1996 के विश्वकप के सफलतम आयोजन का पूरी क्रिकेट बिरादरी ने लोहा माना। उनके दिल में यह खेल रच बस गया था।

उन्होंने मैचों के टीवी पर सीधे प्रसारण की महत्ता समझी। जरूरत पड़ने पर प्रसार भारती से भी भिड़े और जीत हासिल की थी। मैने अपने कैरियर में ढेरों खेल अधिकारियो को जो देखा, उनमें जग्गू बेजोड़ और अतुलनीय रहे हैं। 1996 में आयोजन से सह मेजबानों पाकिस्तान और श्रीलंका को भी मालामाल कर देने वाले यह डालमिया ही थे कि उद्घाटन समारोह के लिए लेजर का उन्होंने पहली बार प्रयोग किया था।

75 बरस के डालमिया का जाना मेरे लिए निजी संताप भी है। वह खेल की बेहतरी के लिए किस कदर आकुल रहा करते थे, इसकी भी कोई मिसाल नहीं। इधर, वह काफी अशक्त हो गये थे। हालत दिन ब दिन बिगड़ती चली गयी और अंतत: यम का वार उन पर हो ही गया पर वह जब तक भारतीय क्रिकेट है तब तक जीवित रहेंगे। इसमें दो राय नहीं। जग्गू दादा, हम तुमको न भूल पाएंगे।

..तुमको न भूल पाएंगे (डालमिया पर विशेष) Reviewed by on . देश के खेल पदाधिकारियों के प्रति सामान्य में लोगों की धारणा मुंह बिचकाने वाली ही ज्यादा होती है। खेलों का इन महानुभावों ने बेड़ा गर्क जो किया हुआ है। परंतु कुछ देश के खेल पदाधिकारियों के प्रति सामान्य में लोगों की धारणा मुंह बिचकाने वाली ही ज्यादा होती है। खेलों का इन महानुभावों ने बेड़ा गर्क जो किया हुआ है। परंतु कुछ Rating: 0
scroll to top