इस्लामाबाद, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पाकिस्तान का कहना है कि वह अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है, लेकिन अफगान तालिबान को वार्ता की मेज तक लाना अकेले उसी की जिम्मेदारी नहीं है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकरिया का मंगलवार को दिया गया यह बयान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की सोमवार को की गई इस टिप्पणी के बाद आया है कि अफगानिस्तान अब पाकिस्तान से यह उम्मीद नहीं करता कि वह तालिबानियों को शांति वार्ता के लिए तैयार करेगा।
जकरिया ने कहा कि पाकिस्तान हर तरह के आतंकवाद की भर्त्सना करता है और विभिन्न आतंकवादी समूहों के बीच फर्क नहीं करता।
डॉन ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, जकरिया ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में शांति पाकिस्तान के हित में है।
जकरिया ने कहा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद का शिकार है और अब तक इसके खिलाफ लड़ाई में हजारों नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए चार देशों के समूह का गठन किया गया है। इसलिए वार्ता के विफल होने की जिम्मेदारी अकेले पाकिस्तान पर नहीं थोपी जा सकती।
पाकिस्तान का यह बयान गनी द्वारा सोमवार को पाकिस्तान को दी गई उस धमकी के बाद सामने आया है जिसमें कहा गया था कि अगर पाकिस्तान तालिबान के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता तो उसके खिलाफ राजनयिक बदले की कार्रवाई की जाएगी।
अफगानिस्तान में पिछले मंगलवार को काबुल में हुए हमले में 64 लोग मारे गए थे, जिसके बाद अफगान सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।
इस दौरान बीबीसी उर्दू सेवा की एक रिपोर्ट में राजनयिक सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कतर में रहने वाले अफगानिस्तानी तालिबानियों का एक प्रतिनिधिमंडल अफगान सरकार के साथ सीधी बातचीत के लिए कराची में है।
पाकिस्तान ने अफगान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच जुलाई 2015 में मरी में एक शांति वार्ता का आयोजन किया था जिसमें चीन और अमेरिका के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे।
इस शांति वार्ता के दूसरे दौर की बातचीत 31 जुलाई 2015 को होनी थी। लेकिन, तालिबान के प्रमुख मुल्ला उमर के मौत की खबर के बाद तालिबान में उत्पन्न नेतृत्व के संकट के मद्देनजर इसे स्थगित कर दिया गया था।