दिल्ली-तंबाकू और धूम्रपान से लाखों जिंदगियां तबाह हो रही हैं। तंबाकू सेवन के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्परिणाम और उनसे होने वाली जानलेवा बीमारियों पर लोगों के करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, धूम्रपान एवं तंबाकू के कारण दुनिया में प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख से अधिक लोग मौत का शिकार हो जाते हैं।
भारत में भी यह संख्या लगभग 8 लाख से अधिक है। अनुमानत: 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 30 प्रतिशत अन्य प्रकार के कैंसर, 80 प्रतिशत ब्रोंकाइटिस, इन्फिसिमा एवं 20 से 25 प्रतिशत घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, 5 से 10 सिगरेट रोज पीने वाले व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने की आशंका दोगुना ज्यादा बढ़ जाती है और सिगरेट का एक कश जिंदगी के 5 मिनट कम कर देता है।
अब तो आलम यह है कि महिलाएं भी मॉडर्न दिखने के लिए धूम्रपान करने लगी हैं। उन्हें यह नहीं मालूम कि वह स्वयं तो इससे अनेक रोगों से ग्रसित हो ही सकती हैं, साथ ही उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी इसका खतरनाक दुष्प्रभाव पड़ सकता है। इससे समय पूर्व स्वत: गर्भपात, मृत शिशु का प्रसव, गर्भावस्था में ही शिशु की मृत्यु तथा कम वजन के कमजोर बच्चे का जन्म हो सकता है। इस प्रकार के जन्मे बच्चों के जीवित रहने की सम्भावना बहुत कम रहती है।
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि सिगरेट के धुएं से केवल धूम्रपान करने वालों को ही नुकसान नहीं होता, बल्कि उनके संपर्क में रहने वाले दोस्तों, बच्चों एवं परिवार वालों को भी होता है। इसलिए धूम्रपान करने वालों को खतरनाक मित्र समझना चाहिए। धूम्रपान करने वालों के संपर्क में रहने वालों को आंख, गले और नाक में जलन की तकलीफ तथा फेफड़े के कैंसर एवं गंभीर हृदय रोग हो सकते हैं।
धूम्रपान के क्रम में छोड़े गए धुएं के कारण वातावरण में पड़ने वाले प्रभाव के कारण अनेक प्रकार के दुष्परिणाम हो सकते हैं। इनमें बाल अवस्था में श्वसन संबंधी गंभीर रोग, खांसी, कफ, बलगम, छींक, घबराहट, कान बहना, फेफड़ों का कम विकास एवं उनकी कमजोरी, आंख, नाक और गले में जलन, फेफड़े के कैंसर, कम वजन तथा कम लंबाई के बच्चे का जन्म, जन्मजात अपंगता तथा हृदय रोग प्रमुख हैं।
धूम्रपान से स्वास्थ्य पर जानलेवा कुप्रभाव तो पड़ता ही है, वहीं पर इससे राष्ट्र की प्रगति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसा देखा गया है कि धूम्रपान करने वाला व्यक्ति अपने कार्य के प्रति उदासीन होता है, जिससे उसकी कार्यक्षमता घटती है और इससे उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
धूम्रपान करने वाले कर्मचारी गंभीर रोगों ग्रस्त हो सकते हैं, और समय पूर्व मौत का शिकार हो सकते हैं जिससे नियोक्ता कंपनी तथा कारखाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। तंबाकू से मुंह, मुखगुहा एवं जीभ का कैंसर हो सकता है। अनेक प्रकार के पेट रोग भी हो सकते हैं।
सिगरेट की डिब्बियों पर छोटे अक्षरों में लिखा होता है- सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। दूसरी ओर, बड़े-बड़े होर्डिग लगाकर सिगरेट का विज्ञापन करने की छूट भी दी जा रही है। सरकार इसकी भयावहता के बारे में जानती है, लेकिन राजस्व प्राप्ति के लालच के कारण सरकार इन पर रोक नहीं लगा पाती।
सच्चाई यह भी है कि कुछ चिकित्सक स्वयं सिगरेट पीते हैं, मगर दूसरों को न पीने का उपदेश देते हैं। इस कारण सिगरेट पीने वालों पर उनकी बात का प्रभाव नहीं पड़ता।
गुटखा, पान-मसाला, खैनी, तंबाकू खुलेआम बिक रहे हैं। इनकी बिक्री, निर्माण और प्रचार पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए तथा धूम्रपान करने वाले एवं तंबाकू के सेवन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए, तभी इस लाइलाज समस्या से छुटकारा मिल सकेगा।
इस आदत से मुक्ति के लिए आवश्यक है इच्छाशक्ति मजबूत कर इसका इस्तेमाल छोड़ दिया जाए। इसे छोड़ने के बाद एक या दो दिन तक ब्रिडाल के लक्षण उत्पन्न होते हैं, बेचैनी होती है मगर स्वत: ठीक हो जाती है।
सिगरेट की तलब लगने पर सौंफ, इलायची, लौंग, टॉफी एवं ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थो का सेवन करना चाहिए। साथ ही व्यक्ति को अधिक से अधिक टहलना चाहिए, व्यायाम एवं प्राणायाम करना चाहिए। इससे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन जाती है जो नशे की तलब को दूर करने में सहायक होती है। इसके अलावा, अपना एकाकीपन दूर करने के लिए किसी कार्य में व्यस्त रहना चाहिए या खाली समय संगीत सुनकर बिताना चाहिए।
इस कार्य के लिए स्वयंसेवी संगठनों तथा चिकित्सा संस्थाओं को भी वातावरण तैयार करना होगा। आइए, संकल्प लें कि हम स्वयं धूम्रपान एवं तंबाकू का सेवन नहीं करेंगे और दूसरों को भी न करने के लिए प्रेरित करेंगे। (आईएएनएस/आईपीएन)