उज्जैन से लौटकर अनिल सिंह – अपने आप को अघोरी तांत्रिक कहलाने वाली महिला शिवानी दुर्गा की सच्चाई जानने की दूसरी कड़ी में हम पहुंचे उज्जैन नगरी जहाँ उसने अपना डेरा जमा रखा है.हमें कुछ दिनों पहले एक पत्रकार मित्र के माध्यम से शिवानी दुर्गा की संस्था “सर्वेश्वरी शक्ति इंटरनेशनल वूमेन अखाड़ा” जो अपने आप में ही एक विचित्र नाम है की प्रेस विज्ञप्ति प्राप्त हुई थी,जिसमें उसने अपने कार्यक्रम का विस्तृत ब्यौरा जारी किया था.
वह इस प्रकार था,सुबह 8 से 2 तक हवन उसके बाद प्रसाद,शाम 4 से 6 तक शिवानी दुर्गा ने अपने से मिलने का कार्यक्रम बताया है,उसके बाद आरती एवं प्रसादी.हम विस्तार से उसके कैम्प की जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं इसका आंकलन आप लोगों को स्वयं करना है.
हम 27 तारीख की शाम 8 बजे उसके शिविर स्थल पहुंचे लेकिन शिवानी का तीन गाड़ियों का काफिला हमें जाता हुआ रास्ते में मिला,पता चला वह मंगलनाथ किसी कार्यक्रम में हिस्सेदारी के लिए गयी है .जब हम शिविर स्थल पर पहुँच तब कुछ भक्त घर जाने की तैयारी में थे एवं ट्रस्ट का एक ट्रस्टी जिसका नाम सौरभ शुक्ला था वहां मौजूद था.प्रसाद वितरण (भोजन) का जो दावा किया गया था वह नदारद था.एक स्थानीय नौकर वहां जरूर था लेकिन वह भी किसी प्रकार की व्यवस्था न होने का कह चला गया.
सौरभ शुक्ला ने हमें अगले दिन सुबह 11 बजे फोन लगाने का कहा,उसने कहा तब शिवानी से पूछ कर बताऊंगा कितने बजे मिलेंगी वे.अगले दिन सुबह 11 बजे रंगपंचमी के दिन हम शिवानी के शिविर पहुंचे,वहां कुछ कर्म-कांडी ब्राह्मण हवन-पूजन की तैयारियों में व्यस्त थे एवं ट्रस्टी सौरभ शुक्ला सो रहे थे ,पूछने पर उन ब्राह्मणों ने बताया की यही दिनचर्या है शिवानी जी कभी आ जाती हैं कभी नहीं.
खैर सौरभ शुक्ला को नींद से जगाया गया तब वे 20 मिनट बाद हमसे मुखातिब हुए.हमने उनसे कहा की क्या आप इस चल रहे कर्मकांड में हिस्सा नहीं लेते तो उन्होंने कहा की वे सब ये ब्राह्मण कर रहे हैं जो रोज 400-500 रुपये भुगतान की दर पर लाये गए हैं.उन पुजारियों का एक मुखिया भी वहां मौजूद था जिसने बताया की यजमान जो दक्षिणा चढाते हैं वह हमारी होती है ,कार्यक्रम के बाद जो भी शिवानी दे देंगी हमें संतोष है.
जब हमने पंडित जी से पूछा की आप तांत्रिक के शिविर में बलि पूजा में कैसे भाग लेते हैं ?तब उन्होंने कहा की हम भूरे कद्दू की बलि करवा सकते हैं बाकी बलि पूजा वे लोग स्वयं करें यह उनकी जिम्मेदारी है.
शिवानी दुर्गा से कब मुलाक़ात दिन में हो सकती है के प्रश्न पर सौरभ शुक्ला बोले की उनसे बात नहीं हो पा रही है अतः मैं कुछ कह नहीं सकता.पूछने पर बताया गया की चूँकि यहाँ ठहरने की उचित व्यवस्था नहीं है अतः शिवानी जी नानाखेड़ा में रहती हैं.शाम 4 से 6 यहाँ रहती हैं बाकि कार्यक्रमों या शहर में ही रहती हैं.जबकि दत्त अखाड़े के भ्रमण दौरान हमने देखा साधू अपना धूना खुले आसमान के होते हुए भी छोड़ने को तैयार नहीं थे पूछने पर बताया हम साधू हैं महाकाल की मर्जी पर चलते हैं हमारे लिए ये सब भौतिकता मायने नहीं रखती.
शिवानी दुर्गा के साथ सचिन शुक्लाऔर सौरभ शुक्ला नामक ट्रस्टी रहते हैं जो इस इन्टरनेशनल वूमेन अखाड़े के कर्ता -धर्ता है.शिवानी दुर्गा इस समय मीडिया के माध्यम से सिर्फ अपनी प्रसिद्धि पाने के मैनेजमेंट में लगी हुईं हैं.फसल काटने की बारी उनकी सिंहस्थ पर्व के दौरान है.
ट्रस्ट का नाम महिला अखाडा लेकिन ट्रस्टी सभी पुरुष हैं जिनमें सचिन शुक्ला एवं सौरभ शुक्ला प्रमुख ट्रस्टी हैं.एक स्थानीय महिला जो कांग्रेस की नेत्री है को शिवानी ने स्थानीय संपर्क बढाने के लिए जोड़ लिया है.इन माध्यमों से उसने अपने आप को प्रचारित करवाने कार्य बखूबी किया है.अब यह बात अलग है की क्या वह संत है या नहीं?
कापालिक भैरवानंद जी ने नहीं दी थी दीक्षा
शिवानी दुर्गा दीक्षा के लिए कापालिक भैरवानन्द जी के अलावा भारत के अन्य तंत्र-साधकों के पास भी दीक्षा हेतु गयी थी लेकिन सभी ने उसे मना कर दिया था क्योंकि वे इसके व्यावसायिक नजरिये से नाराज थे अंततोगत्वा इसने नागनाथ तिवारीजो वेश बना कर घूमता था को ही गुरु बना अपना व्यावसायिक तंत्र-जाल फैलाना शुरू किया.क्योंकि यह बखूबी जानती है की बिना भारतीय संत का आधार बताये भारत में इसकी दूकान नहीं चलेगी.मुम्बई के मीरा-भायंदर रोड से तंत्र की दूकान चलाने वाली यह महिला प्रबंधन में माहिर है यह उसकी मीडिया प्रबंधन की कला से प्रतीत होता है.
इंटरनेशनल वूमेन अखाड़े में एक भी वूमेन साधू क्या वूमेन भी नहीं थीं
मुम्बई में, “इंडियन विकान कम्युनिटी एवं वूडू टेम्पल” के नाम से संस्था चलाने वाली इस स्वयम्भू तांत्रिक ने सिंहस्थ के प्लेटफोर्म के लिए “सर्वेश्वरी शक्ति इंटरनेशनल वूमेन अखाडा” की रचना की आधा हिंदी और आधा अंग्रेजी यह नाम ही सनातन को आधार बना फर्जीवाड़ा कर जनता को भ्रमित और लूटने के लिए पर्याप्त है.जब एक संस्था के नाम से कार्य हो ही रहा है तब दूसरी संस्था की क्या जरूरत?जब हम दो दफे इसके उपरोक्त अखाड़े पर पहुंचे तब किसी महिला साधू के क्या किसी महिला तक के दर्शन नहीं हुए और ना ही किसी प्रकार की संस्था में साध्वी होने या उनके लिए कार्य होने के प्रमाण मिले.सभी फूस की बनी झोपड़ियाँ खाली पड़ी थी जिनमें वाहन रखे हुए थे.जब हमने यह जानना चाहा की क्या रुकने की उचित व्यवस्था ना होने से साध्वियां भी कहीं शहर में रुकी हैं तो वहां कार्य करने वाले नौकर एवं पूजा कर रहे ब्राह्मणों ने स्पष्ट किया की यहाँ कोई महिला साध्वी नहीं हैं सिर्फ ये दो पुरुष हैं जिनमें से एक रात में यही रहता है दूसरा शहर में.
शिवानी द्वारा प्रचारित पराविज्ञान में पीएचडी डिग्री के कोई प्रमाण नहीं मिले ?
शिकागो से पराविज्ञान में पीएचडी के दावे का जब पता किया गया तब जानकारी सामने आई की वहां ऐसी कोई पीएचडी नहीं होती.अब डिग्री का रहस्य तो शिवानी को ही पता होगा की यह क्या तंत्र- जाल है.
जनसम्पर्क अधिकारी के अलावा मार्केटिंग के लोग भी हैं इस संस्था में स्थानीय लोगों को लिया अपने साथ
इस वूमन अखाड़े के जनसम्पर्क अधिकारी भी पुरुष एवं स्थानीय हैं.मुम्बई स्थित मुख्यालय से कोई नहीं है.शशांक एवं प्रांजल चौहान नामक दो व्यक्तियों का नाम मार्केटिंग सदस्य के रूप में शिविर के बोर्ड पर लिखा हुआ है.पूछने पर ये भी स्थानीय लोग बताये गए.पूरी जानकारियां जुटाने के बाद यह सामने आया की शिवानी दुर्गा ने तंत्र के भय का सहारा ले कर सिंहस्थ के प्लेटफार्म पर अपना व्यवसाय जमाने का प्रयास किया है जिसका मुख्यालय मुम्बई है.सनातन में ऐसी कई शिवानी या अन्य ठग आते थे और रहेंगे लेकिन महाकाल की नगरी में इनका पर्दाफाश भी होता रहेगा.यह प्रयास तंत्र जैसे वैज्ञानिक विषय को कतिपय ठगों के द्वारा हथियार बना कर ठगने का जरिया बना लेने के विरुद्ध संघर्ष है.
इसी कड़ी में जल्द ही खुलासा करेंगे मंडला के “कम्बल बाबा” का ……………………