नई दिल्ली, 19 जनवरी (आईएएनएस)। देश के रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के प्रमुख संगठन डीआरडीओ में आमूलचूल बदलाव की योजना रक्षा मंत्रालय ने बनाई है। मंत्रालय का उद्देश्य कलस्टर प्रमुखों को अधिक अधिकार देना और संगठन का नेतृत्व किसी युवा के हाथ में देना है।
नई दिल्ली, 19 जनवरी (आईएएनएस)। देश के रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के प्रमुख संगठन डीआरडीओ में आमूलचूल बदलाव की योजना रक्षा मंत्रालय ने बनाई है। मंत्रालय का उद्देश्य कलस्टर प्रमुखों को अधिक अधिकार देना और संगठन का नेतृत्व किसी युवा के हाथ में देना है।
यह जानकारी इस घटनाक्रम के जानकार लोगों से मिली है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख अविनाश चंदर को कुछ दिनों पहले ही संगठन छोड़ने के लिए कह दिया गया था और उन्होंने इस्तीफा भी दे दिया।
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर डीआरडीओ की सभी केंद्रों की समीक्षा कर रहे हैं।
एक अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, “डीआरडीओ के क्लस्टर प्रमुखों को अधिक शक्तियां दी जाएंगी, ताकि उन्हें वित्तीय मामलों में अधिक लचीलापन मिले और वे बेहतर तालमेल बनाने में सक्षम हो सकें।”
डीआरडीओ की लगभग 530 परियोजनाएं फिलहाल चालू हैं, जिनमें से 136 लागू होने की स्थिति में हैं। इनमें अग्नि 4 और अग्नि 5 लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें, निर्भय क्रूज मिसाइल, वायुजन्य चेतावनी एवं नियंत्रण प्रणाली (एडब्लूएसीएस), युद्धक टैंक अर्जुन और हल्का लड़ाकू विमान तेजस शामिल हैं।
सूत्र के मुताबिक क्लस्टर स्तर पर नेतृत्व में बदलाव की अपेक्षा की जा सकती है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर दोनों ही युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा दे रहे हैं।
विशेषज्ञों की एक समिति की रपट के बाद डीआरडीओ में सात प्रौद्योगिकी क्लस्टर गठित किए गए हैं। इनमें वैमानिकी प्रणाली (एयरो), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार प्रणाली (ईसीएस), मिसाइल्स एवं रणनीतिक प्रणाली (एमएसएस), नौसेना प्रणाली एवं सामग्री (एनएसएंडएम), आयुध एवं युद्ध इंजीनियरिंग (एसीई), जीव विज्ञान (एलएस) तथा सूक्ष्म-इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और कंप्यूटेशनल प्रणाली (एमईडी और सीओएस) शामिल हैं।
पिछले साल सरकार ने 60 साल से अधिक उम्र होने की वजह से निदेशक स्तर के कम से कम चार शीर्ष वैज्ञानिकों का कार्यकाल बढ़ाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। क्योंकि महसूस किया गया कि इससे युवा प्रतिभाओं पर प्रभाव पड़ रहा है।
एक अन्य अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, “ऐसी खबरें थीं कि बार-बार कार्यकाल बढ़ाए जाने की वजह से युवा प्रतिभाएं हतोत्साहित हो रही हैं। कई प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिकों ने संगठन छोड़ दिया था। क्योंकि उन्हें एक निश्चित प्रगति का रास्ता नहीं मिला।”
डीआरडीओ के आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक पेशेवर संतुष्टि की कमी की वजह से 50 प्रतिशत से अधिक वैज्ञानिकों ने संगठन छोड़ दिया था।
रक्षा मंत्रालय से संबंधित एक संसदीय समिति ने पाया कि 2009 से औसतन 65 से अधिक वैज्ञानिकों ने डीआरडीओ से इस्तीफा दे दिया है।
बीते वर्ष पहली अक्टूबर, 2014 तक 23 वैज्ञानिकों ने संगठन छोड़ दिया था।
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल है, लेकिन उन्हें 62 साल की उम्र तक दो साल का सेवा विस्तार दिया जा सकता है। अविनाश चंदर को इसी व्यवस्था के तहत सेवा विस्तार दिया गया था।
अविनाश चंदर अग्नि मिसाइल में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर का वैज्ञानिक होने के नाते उन्हें दो वर्ष अतिरिक्त सेवा विस्तार दे दिया गया था। यानी वह 64 साल की उम्र तक संगठन में कार्य कर सकते थे।
लेकिन मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने 31 जनवरी से उनका अनुबंध समाप्त करने को मंजूरी दे दी। यानी उन्हें अनुबंध से 15 महीने पहले ही संगठन छोड़ना पड़ा।
चंदर 30 नवंबर, 2014 को सेवानिवृत्त हो गए थे और उन्हें 31 मई, 2016 तक 18 महीनों का अनुबंध दिया गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस