चेन्नई, 1 मार्च (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया का एक बार फिर निर्विरोध बीसीसीआई अध्यक्ष चुना जाना तय हो चुका है।
वेबसाइट ‘क्रिकइंफो डॉट कॉम’ के अनुसार, सोमवार को होने वाली बीसीसीआई की कार्यकारिणी की वार्षिक बैठक एवं चुनाव से पहले रविवार को अपराह्न 3 बजे की आखिरी समयसीमा तक बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने वाले डालमिया एकमात्र दावेदार रहे।
इससे पहले डालमिया पूरे पांच वर्ष तक बीसीसीआई को अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं तथा उनका कार्यकाल 2004 में समाप्त हुआ था।
माना जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर बीसीसीआई अध्यक्ष पद से निर्वासित चल रहे एन. श्रीनिवासन और शरद पवार दोनों गुटों का डालमिया को समर्थन है।
दोनों ही गुटों ने डालमिया को अपना-अपना प्रत्याशी बताया, लेकिन डालमिया ने अपने पत्ते अब तक नहीं खोले हैं।
बीसीसीआई के एक सूत्र ने आईएएनएस से कहा, “डालमिया की ओर से तीन नामांकन दिए गए हैं। बीसीसीआई से संबद्ध पूर्व क्षेत्र के सभी छह सदस्यों ने या तो डालमिया के नाम का प्रस्ताव दिया या अनुमोदन किया।”
इस बार बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए पूर्व क्षेत्र की बारी थी और बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) अध्यक्ष डालमिया ने कोलकाता स्थित नेशनल क्रिकेट क्लब और पूर्व क्षेत्र के चार अन्य क्लबों के समर्थन से अपना नामांकन दाखिल किया।
गौरतलब है कि श्रीनिवासन पर सर्वोच्च न्यायालय ने ‘हितों के टकराव’ का हवाला देते हुए बीसीसीआई में किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। यहां तक कि श्रीनिवासन वार्षिक बैठक में भी हिस्सा नहीं ले सकते, हालांकि उन्हें तमिलनाडु क्रिकेट संघ के नॉमिनी के तौर पर अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अपना मत डालने की अनुमति है।
बीसीसीआई के 2005 से 2008 तक अध्यक्ष रह चुके शरद पवार खुद अध्यक्ष बनना चाहते थे लेकिन पूर्व क्षेत्र से एक भी प्रस्तावक या अनुमोदक न मिलने के कारण वे नामांकन नहीं डाल सके।
बाद में हालांकि पवार के एक नजदीकी ने दावा किया कि पवार ने भी डालमिया का समर्थन किया है।
गौरतलब है कि शनिवार की देर रात तक पवार गुट डालमिया पर बीसीसीआई पैट्रन इन चीफ पद से समझौता करने का और अध्यक्ष पद के लिए पवार को समर्थन देने का दबाव बना रहा था।
डालमिया ने लेकिन परिस्थितियां अपने पक्ष में देखते हुए खुद अध्यक्ष पद के लिए दावा करने का फैसला लिया।
अध्यक्ष पद के अलावा सचिव, कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव सभी पदों के लिए कई दावेदार मैदान में हैं। लेकिन बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) और कोलकाता स्थित डालमिया का आपना क्लब नेशनल क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया किसे अपना समर्थन देगा अभी इस पर संशय बना हुआ है।
श्रीनिवासन गुट की ओर से संजय पटेल, अनिरुद्ध चौधरी और अमिताभ चौधरी ने क्रमश: सचिव, कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव के लिए नामांकन दाखिल किए।
दूसरी ओर शरद पवार गुट की ओर से अनुराग ठाकुर ने सचिव के लिए, राजीव शुक्ला ने कोषाध्यक्ष के लिए तथा चेतन देसाई ने संयुक्त सचिव पद के लिए नामांकन दाखिल किए।
डालमिया ने 1983 में कोषाध्यक्ष के रूप में बीसीसीआई में प्रवेश किया। उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष भारतीय टीम विश्व कप जीती थी। बाद में वह इसके सचिव बने और 1997 में तीन वर्ष के लिए अध्यक्ष चुने गए।
डालमिया इसके बाद 2001 में एक बार फिर पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने गए और 2004 तक कार्यकाल समाप्त होने तक पद पर बने रहे।
डालमिया ने इसके बाद भी अगले एक वर्ष तक बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे अपने विश्वासपात्र रणबीर सिंह महेंद्र के जरिए बीसीसीआई पर अपनी पकड़ बनाए रखी।
डालमिया और उनके गुट को हालांकि 2005 में पवार गुट के हाथों सारे पद गंवाने पड़े। न सिर्फ पवार बहुमत से अध्यक्ष चुने गए बल्कि बीसीसीआई के अन्य लगभग सभी पदों पर उनके विश्वासपात्र भी चुन लिए गए।
डालमिया के खिलाफ एक पुलिस जांच के कारण उन्हें दिसंबर 2006 में बीसीसीआई से बर्खास्त कर दिया गया, बल्कि सीएबी अध्यक्ष पद से भी उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2013 में निर्वासित कर दिए गए श्रीनिवासन की जगह डालमिया को एक बार फिर न्यायालय ने अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया।