नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। डायन बोलकर प्रताड़ित की जा रही महिलाओं ने बुधवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर अपनी आवाज बुलंद की और डायन प्रथा के खिलाफ केन्द्रीय कानून बनाने की मांग की।
गैर सरकारी संगठन, संभावना के बैनर तले फीचर फिल्म ‘काला सच द ब्लैक ट्रथ’ की टीम व वॉव्स जैसे कई अन्य गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से यह प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शन में पूरे देश से एक हजार से अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया, जिनका नेतृत्व झारखंड की डायन मामलों में ब्रांड एंबेसडर रहीं छूटनी महतो ने किया।
इस आयोजन में देश-विदेश से वे महिलाएं इकट्ठी हुईं, जो डायन प्रथा की शिकार हुई थीं, या जिन्हें डायन बोलकर प्रताड़ित किया जा रहा है और उनकी जान जोखिम में है।
इन महिलाओं को सहयोग करने के लिए फिल्म काला सच द ब्लैक ट्रथ में मुख्य भूमिका निभा रही पाखी हेगड़े के साथ फिल्म के निर्देशक, निर्माता और अन्य समाज सेवी मंच पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर फिल्म निर्देशक मयंक पी. ने बताया कि डायन के नाम पर किसी बेगुनाह औरत को सैकड़ों हजारों गांव वालों के सामने निर्वस्त्र कर उसकी नाक, कान, जीभ काटकर, उसका सिर मुंडा कर, चेहरे पर कालिख पोतकर पूरे गांव मंे घुमाना, फिर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म कर, उसे पत्थरों, डंडों से मार मारकर खत्म कर देना, इससे अधिक क्रूर नृशंस और अमानवीय अत्याचार और क्या होगा।
फिल्म निर्माता जितेन्द्र सोनी ने कहा कि ‘काला सच द ब्लैक ट्रथ’ डायन प्रथा की वास्तविक घटना पर आधारित है।
फिल्म की कहानी झारखंड के धनबाद के निकट के एक गांव में घटित घटना पर आधारित है।