विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को बयान जारी कर मच्छर जनित इस वायरस और माइक्रोसिफेली से संबंधित चार बड़ी अफवाहों का खंडन किया।
अफवाह नंबर एक : बच्चों में माइक्रोसिफेली टीकाकरण की वजह से होता है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि टीका लगाने की वजह से बच्चों में माइक्रोसिफेली होता है।
बयान के मुताबिक, ऐसे कोई सबूत नहीं हैं, जिससे यह पता चले कि टीके की वजह से माइक्रोसिफेली के मामले बढ़ रहे हैं।
अफवाह नंबर दो : पाइरीप्रोक्सीफेन कीटनाशक की वजह से माइक्रोसिफेली होती है।
डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिकों के एक दल को गर्भावस्था के दौरान महिलाओं और भ्रूण के विकास की अवधि के दौरान इस कीटनाशक से कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साक्ष्य नहीं मिले हैं।
अमेरिकी पर्यावरणीय सुरक्षा एजेंसी और यूरोपीय संघ के जांचकर्ताओं ने भी इसी तरह का समान निष्कर्ष निकाला है।
अफवाह नंबर तीन : जीका संक्रमण और ब्राजील में माइक्रोसिफेली के बढ़ रहे मामले आनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) मच्छरों से जुड़े हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इसके भी कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं कि ब्राजील में जीएम मच्छरों की वजह से जीका वायरस और माइक्रोसिफेली होता है।
अफवाह नंबर चार : स्टेरीलाइज नर मच्छरों के काटने से जीका फैलता है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि स्टेरीलाइज तकनीक से माइक्रोसिफेली के मामले बढ़ रहे हैं।