नई दिल्ली, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)। श्रमिकों के प्रति शत्रुतापूर्ण आर्थिक और श्रम सुधारों के लिए एक के बाद एक सभी सरकारों को दोषी ठहराते हुए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीजीयूज) के एक संयुक्त फोरम ने सोमवार को हरेक श्रमिक के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज की मांग की और कहा कि सभी अनुबंध कर्मियों को स्थाई किया जाए।
कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल ट्रेड यूनियंस (सीओएनसीईएनटी) में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीयूसी), ट्रेड यूनियन कॉर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी) और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (एनएफआईटीयू) शामिल है। यहां यूनियनों के राष्ट्रीय सम्मेलन में सरकार द्वारा रेलवे, रक्षा प्रतिष्ठानों, बैंकों और बंदरगाहों के निजीकरण के लिए उठाए जा रहे कदमों के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया गया।
बीएमएस के अध्यक्ष सी. के. साजी नारायणन ने यहां सम्मेलन में कहा, “इंप्लाई स्टेट इंश्यूरेंस कॉर्प (ईएसआईसी), और इंप्लाई प्रॉविडेंड फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) के तहत हरेक कामगार को सार्वभौकिम सोशल सिक्युरिटी कवरेज मुहैया कराना चाहिए। योजनाओं में काम करनेवालों जैसे, आंगनवाड़ी, आशा, मिड-डे मिल कामगारों को सरकारी कर्मचारी घोषित करना चाहिए और तब तक उन्हें न्यूनतम 18,000 रुपये की मजदूरी देनी चाहिए।”
चार सीटीयूज के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षरित मांगों के चार्टर में सभी कामगारों को स्थाई बनाने, सभी श्रम कानूनों को कड़ाई से लागू करने और सभी श्रेणियों में न्यूनतम मजदूरी देश भर में 18,000 रुपये करने की मांग की गई है।
उन्होंने मांगों के चार्टर में कहा, “सरलीकरण और संहिताकरण के नाम पर कामगारों के वर्तमान अधिकारों को छीना नहीं जाना चाहिए। रेलवे, कोयला, रक्षा, बैंकों, बंदरगाहों, हवाईअड्डों, बिजली, चाय और अन्य ऐसे क्षेत्रों के ज्वलंत मुद्दों का संबंधित मंत्रालयों द्वारा अलग-अलग समाधान किया जाना चाहिए।”
उन्होंने इसके अलावा नीति आयोग में मजदूरों और किसानों के प्रतिनिधित्व की मांग की।