नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। रबड़ स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (आरएसडीसी) के चेयरमैन विनोद साइमन ने कहा कि टायर सर्विसेज एवं मेंटेनेंस के क्षेत्र में कौशल विकास बेहद महत्वपूर्ण है।
आरएसडीसी के चेयरमैन विनोद साइमन ने कहा, “टायरों को किसी देश का पहिया कहा जाता है और टायर सर्विसेज एवं मेंटेनेंस के क्षेत्र में कौशल विकास की बहुत जरूरत है। सड़क परिवहन को सुगम व सुरक्षित बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाला यह क्षेत्र अभी व्यापक तौर पर असंगठित है। इसलिए इस प्रशिक्षण अभियान में आरएसडीसी टायर सर्विसेज को प्राथमिकता में रख रहा है। मोबाइल वैन, आवश्यक उपकरणों के साथ सुसज्जित और कुशल कर्मियों द्वारा संचालित, टायर फिटर को प्रशिक्षित करेगा, उन्हें हासिल किए गए कौशल पर आकलन करेगा और उन्हें प्रमाणित भी करेगा।”
टायर फिटिंग क्षेत्र में कौशल प्रशिक्षण की जरूरत को समझते हुए रबड़ स्किल डेवलपमेंट काउंसिल द्वारा शुरू किए गए समर्थ प्रोजेक्ट को काफी सराहना मिली है और लगातार यह अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। आरएसडीसी द्वारा शुरू की गई इस योजना को हाल ही में ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्च र्स एसोसिएशन (आटमा) ने सराहनीय प्रयास बताते हुए अपने वार्षिक कन्वेंशन 2019 में ‘टायर सेफ्टी पार्टनर’ अवार्ड से सम्मानित किया। नीति आयोग के मोबिलिटी विभाग प्रमुख अनिल श्रीवास्तव ने आरएसडीसी को यह सम्मान दिया।
टायर फिटर्स की कुशलता को बढ़ाने और उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान करने के लिए नवीनतम उपकरणों व विशेषज्ञों से लैस मोबाइल टायर सर्विस स्किल्स वैन को उतारा गया है। यह स्किल वैन विभिन्न राज्यों के राजमार्गो, गांवों और कस्बों में जाकर टायर सर्विस और मेटेनेंस के क्षेत्र में कौशल विकास की जरूरत को लेकर जागरूकता फैलाते हुए लोगों को सड़क सुरक्षा के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इस परियोजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा में 12,000 टायर मैकेनिक्स का कौशल विकास किया जा रहा है।
ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्च र्स एसोसिएशन (आटमा) के महानिदेशक राजीव बुधराजा ने कहा कि टायर फिटर्स की अहम भूमिका होती है। एक टायर फिटर केवल टायर की मरम्मत ही नहीं करता है, बल्कि ट्रांसपोर्टर, ट्रक चालक को टायर की स्थिति, टायर के अच्छे रखरखाव, टायर की उम्र बढ़ाने के लिए बरती जाने वाली सावधानियों आदि के बारे में भी सुझाव देता है। टायर फिटर्स और तकनीकी विशेषज्ञों के बीच की दूरी को कम करने की दिशा में आरएसडीसी के इस प्रयास को हर तरह से समर्थन मिलना चाहिए।
सड़क परिवहन को सुरक्षित बनाने में भारतीय राजमार्गो पर हर जगह मौजूद टायर मैकेनिक्स की अहम भूमिका है। टायरों की फिटिंग, विशेष रूप से वाणिज्यिक वाहनों के टायरों की फिटिंग एक कुशलता भरा काम है, जिसके लिए विधिवत प्रशिक्षण जरूरी है।
ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्च र्स एसोसिएशन (आटमा) टायर फिटर्स के कौशल विकास में आरएसडीसी के साथ मिलकर काम कर रहा है। फिटर्स को रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निग (आरपीएल) टाइप 1 के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। औपचारिक प्रमाणपत्र मिलने से सीखने वाले का उत्साह बढ़ता है और उसका आत्मविश्वास भी ऊंचा होता है।