यूं तो लीची बागबान एक दशक बाद आई लीची की बंपर फसल से फूले नहीं समा रहे थे, लेकिन पिछले दिनों अचानक बढ़ी गर्मी ने लीची को झुलसा कर उसका रस छीन लिया। हालांकि पूर्वा हवा से थोड़ी राहत है। तीखी धूप कारण लीची बागानों को इतना नुकसान हो चुका, जिसकी भरपाई मुश्किल है।
रस सूखने से फल का आकार कम हो गया है, जिस कारण दाम भी कम मिल रहे हैं। गुणवत्ता और साइज में कमी की वजह से बागान मालिकों को उतने दाम नहीं मिल रहे हैं, जितने की उम्मीद उन्होंने लगाई थी।
फल व्यापारी रोहित मित्रा ने कहा, “मौसम के असर से धंधा उम्मीद से मंदा है। लीची के विकास के लिए सामान्य तापमान जरूरी होता है, लेकिन इस बार पारा ज्यादा है, जो लीची की फसल के लिए ठीक नहीं है।”
वहीं लीची बागबान महेश सक्सेना बताते हैं कि लीची की फसल को तैयार होने के लिए अमूमन 25 से 28 डिग्री का तापमान चाहिए, लेकिन इस बार क्षेत्र में भीषण गर्मी के कारण पारा 45 के पार जा रहा है। इससे लीची की आधी फसल पर मौसम की मार बुरी तरह पड़ी है।
उन्हांेने बताया कि लू के कारण लीची का साइज बढ़ने की बजाय फल फटना शुरू हो गया है। लीची का आकार बढ़ने के लिए इन दिनों बारिश का होना बहुत जरूरी है, अगर इस हफ्ते बारिश नहीं हुई तो बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
लीची बागवान गरीश कुमार कहते हैं, “यह फल सबसे महंगे दाम पर बाजार में बिकते हैं, इसलिए हमने अच्छी कमाई की उम्मीद लगाई थी, लेकिन लगातार बढ़ रहे तापमान से हम सकते में हैं।”
कृषि विशेषज्ञों ने भी माना कि बढ़ा तापमान लीची के लिए सही नहीं है। तापमान बढ़ने से लीची का विकास रुक रहा है और रस सूख रहा है। विशेषज्ञों ने बागबानों को सलाह दी है कि वे ड्रिप सिस्टम से लीची पर पानी का छिड़काव करें, ताकि लीची पर गर्मी का असर कम पड़े।