हालात यह है कि झुमके के बजाय छोटी बालियां व नग वाले टॉप्स की मांग ज्यादा हो गई है। रंग-बिरंगी प्लास्टिक की जूलरी बाजार में छाई है और सीप व शंख से भी कान सज रहे हैं। जिन्हें झुमकों का शौक है, वे आर्टिफीशियल झुमके ले रही हैं।
सर्राफा कारोबारियों की मानें तो शादी का सीजन हो या कोई और उत्सव, करोड़ों के झुमके का कारोबार होता था। महिलाएं पहले झुमकों और कुंडल की ज्यादा खरीदारी करती थीं, लेकिन अब सर्राफा बाजार में झुमकों की बिक्री में गिरावट आई है।
कारोबारियों के अनुसार, लूट की बढ़ती वारदातें इसकी अहम वजह हैं। चेन झपटमारी की वारदातें अक्सर सामने आती रहती हैं।
सर्राफ जयकुमार व विपिन ने बताया कि युवतियों के साथ अब महिलाएं भी टॉप्स ही खरीद रही हैं। तर्क यह है कि टॉप्स बनाने में सोना कम लगता है और झपटमारी का खतरा भी कम रहता है।
सर्राफ राजेश कुमार ने कहा, “झुमका चाहे बरेली वाला हो या कहीं और का, इसके अंदाज ही अलग हैं। इस गहने पर कई फिल्मी गीत लिखे गए और इसे श्रृंगार से लेकर विरह तक का प्रतीक बना दिया गया। हालांकि अब झुमका कम बिक रहा है।”
उन्होंने बताया कि अब झुमके की जगह हीरे से जड़े नन्हे दमकते कर्णफूल या फिर आज के ट्रेंडी स्टाइल में बने कलरफुल पंखों के इयररिंग्स महिलाओं को लुभाते हैं। अब पूरे कान को सजाने के लिए कान के बाहरी हिस्से पर तीन-चार जगह छेद करवाकर छोटी-छोटी बालियां या नग के टॉप्स पहने जाते हैं।
राजेश ने कहा कि मैचिंग जूलरी से लेकर शंख, सीप, बीड्स, लकड़ी, मोती, लाख, कपड़े तथा लेस से बने कान के गहने भी आजकल चलन में आ गए हैं।
उन्होंने बताया कि आमतौर पर इनका दाम 10 रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक हो सकता है। अब कान में झुमके आदि के पहनने के लिए पेंच का होना भी कोई शर्त नहीं रहा। पहनने में आसानी के लिए अब केवल हुक वाले इयररिंग्स भी बड़ी तादाद में बाजार में उपलब्ध हैं। ये हल्के होते हैं तथा आसानी से पहने भी जा सकते हैं।
सर्राफ राजेश ने यह भी बताया कि बाजार में आर्टिफीशियल झुमकों की मांग बढ़ी है। आजकल फिल्मों में करीना कपूर हो या फिर प्रियंका चोपड़ा या सोनम कपूर, हर कोई आजकल बड़े-बड़े झुमके पहनने लगी हैं। ऐसे झुमके स्टाइलिश दिखते हैं।