रांची, 2 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस ने सोमवार को यहां कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले को झारखंड में भी लागू किया जाना चाहिए जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया गया है।
झारखंड कांग्रेस के प्रवक्ता किशोर सहदेव ने आईएएनएस से कहा, “सर्वोच्च न्यायालय का फैसला झारखंड में भी लागू होना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं पर होने वाले खर्च का बोझ अंतत: जनता पर ही पड़ता है।”
झारखंड की विभिन्न पार्टियों से संबद्ध पांच पूर्व मुख्यमंत्री राज्य सरकार द्वारा दिए गए बंगले में रह रहे हैं। इनमें बाबूलाल मरांडी (झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक), अर्जुन मुंडा (भारतीय जनता पार्टी), मधु कोड़ा (निर्दलीय), शिबू सोरेन तथा हेमंत सोरेन (दोनों झारखंड मुक्ति मोर्चा) हैं।
ये न सिर्फ बड़े-बड़े बंगलों में रह रहे हैं, बल्कि इन्हें सुरक्षाकर्मी, निजी सहायक व अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं।
झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के पास रांची में मोरहाबादी मैदान के निकट सबसे बड़ा बंगला है।
मोरहाबादी मैदान के निकट राज्य के एक अतिथि गृह को जेवीएम-पी के बाबूलाल मरांडी के आधिकारिक आवास में बदल दिया गया।
रांची की पुरानी जेल के निकट एक अन्य अतिथि गृह को भाजपा के अर्जुन मुंडा के आधिकारिक आवास में बदल दिया गया।
पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला देने का फैसला पहली बार साल 2003 में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने लिया था।
2010 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद इस सुविधा को वापस ले लिया गया था। लेकिन, इसी साल अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने और उन्होंने सुविधा को बहाल कर दिया।
इस दौरान केवल बाबूलाल मरांडी ने संक्षिप्त समय के लिए बंगला छोड़ा था, जबकि अन्य ने ऐसा नहीं किया। मरांडी भी बाद में फिर बंगले में काबिज हो गए।
झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता के कारण कई मुख्यमंत्री बने। इसका तात्पर्य यह है कि इस महंगी सुविधा को लेने वाले दावेदार राज्य में कई हैं।
साल 2000 में राज्य के अस्तित्व में आने के बाद झारखंड में छह मुख्यमंत्री हुए, जबकि अब तक कोई भी सरकार 28 महीनों से अधिक समय तक सत्ता पर काबिज नहीं रह सकी है। कांग्रेस राज्य में कभी सत्ता में नहीं आई।