रांची, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड के गुमला में गरीबी के शिकार कई आदिम आदिवासी परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने मांग की है कि इस मामले में मिशनरियों की भूमिका की जांच की जाए।
प्रशासनिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि घाघरा और विसुनपुर ब्लाक में 100 से अधिक परिवारों ने धर्म परिवर्तन किया है। लेकिन, स्थानीय मीडिया ने धर्म परिवर्तन करने वाले परिवारों की संख्या 300 से अधिक बताई है।
झारखंड के नौ आदिम आदिवासी समुदायों में से एक, असुर की संख्या तेजी से घट रही है।
धर्म परिवर्तन करने वाले ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने यह फैसला अपने बच्चों की शिक्षा के लिए किया है। इलाके के गांव सड़क, बिजली, विद्यालय और स्वास्थ्य केंद्रों जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
गुमला के प्रशासन ने कहा है कि वह मामले की जांच करेगा।
गुमला के उपायुक्त दिनेश चंद्र मिश्रा ने आईएएनएस से फोन पर कहा, “बीते सप्ताह धर्म परिवर्तन के कुछ मामलों की जानकारी मिली, जबकि धर्म परिवर्तन के कुछ मामले पुराने भी हैं। हम इन दोनों की ही जांच करेंगे, ताकि सच सामने आए।”
उन्होंने कहा, “जांच के बाद ही यह पता चल सकेगा कि धर्म परिवर्तन इच्छा से किया गया है या इसके लिए किसी तरह की लालच दी गई है।”
विहिप ने कहा कि मामले में मिशनरियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए।
विहिप के बिहार और झारखंड के धर्म प्रसार प्रमुख प्रमोद मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, “ईसाई मिशनरियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए। पहले से ही घटती जनसंख्या के शिकार राज्य के आदिम आदिवासी समुदाय को एक सुविचारित योजना के तहत ईसाई बनाया गया है।”
उन्होंने कहा, “इन इलाकों में गैर आदिवासी भी रहते हैं, लेकिन इन्हीं वजहों से उन्होंने क्यों नहीं धर्म बदला? आदिम आदिवासियों को लालच देकर उनका धर्म बदलवाया गया है। मिशनरियों को मिलने वाले धन की भी जांच होनी चाहिए।”