रांची, 24 मई (आईएएनएस)। झारखंड में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोकसभा चुनाव में वर्ष 2014 में अपनी जीत का आंकड़ा इस बार भी कायम रखा। सहयोगी दलों की साझेदारी में पार्टी ने 14 में से 12 सीटों पर कब्जा जमाया।
वर्ष 2014 में भाजपा अकेले लड़ी थी और 12 सीटें जीती थी। भगवा पार्टी ने इस बार गिरिडीह सीट अपने सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) को दी थी।
भाजपा इस बार सिंहभूम लोकसभा सीट हारी, लेकिन महत्वपूर्ण दुमका सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से छीन ली।
झारखंड राज्य गठन के बाद से भाजपा को पहली बार दुमका सीट हाथ लगी है। यह निर्वाचन क्षेत्र संथाल परगना मंडल में आता है, जो पिछले 30 साल से झामुमो का गढ़ रहा है।
दुमका के अलावा गोड्डा और राजमहल सीटें भी इसी मंडल के अंतर्गत आती हैं।
झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन वर्ष 1998 और 1999 को छोड़कर वर्ष 1991 से लगातार दुमका से जीतते रहे हैं। इस बार भाजपा के सुनील सोरेन ने उन्हें 47,590 मतों से हराया।
सुनील सोरेन कभी शिबू सोरेन के शागिर्द माने जाते थे। इस सीट के लिए वह 2009 से ही संघर्ष कर रहे थे। वर्ष 2009 और 2014 में वह हार गए थे।
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने 2014 में कार्यभार संभालने के बाद अपना ध्यान संथाल परगना पर केंद्रित किया। विगत चार वर्षो में हुए उपचुनावों में भाजपा इस मंडल में कामयाब नहीं हो पाई थी। इस बार मगर यह पार्टी इच्छित परिणाम पाने में कामयाब रही।
भगवा पार्टी ने इस बार दुमका सीट तो छीन ली, मगर झामुमो के सांसद विजय कुमार हंसदक से राजमहल सीट नहीं छीन पाई। इस सीट पर भाजपा 99,115 मतों से हार गई।
शिबू सोरेन जमीन से जुड़े राजनेता माने जाते हैं। उन्होंने क्षेत्र में सूदखोरों के खिलाफ अभियान चलाकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। बुढ़ापा और अति आत्मविश्वास को इस बार उनकी हार का कारण माना जा रहा है।
एक और पूर्व मुख्यमंत्री व झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी इस बार चुनाव हार गए। खूंटी सीट पर भाजपा के अर्जुन मुंडा ने मात्र 1,400 मत ज्यादा पाकर उन्हें संसद पहुंचने से रोक दिया।