न्यूयार्क, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। आधे से ज्यादा भारतीय वैज्ञानिक खुद को धर्म के करीब मानते हैं और लगभग एक तिहाई का मानना है कि विज्ञान व धर्म न केवल एक साथ मौजूद है, बल्कि एक दूसरे की मदद भी करते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिकों पर किए गए सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है।
आमतौर पर यह धारणा है कि वैज्ञानिक नास्तिक होते हैं। इस अध्ययन ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में इस धारणा को गलत करार दिया है।
अमेरिका की राइस यूनिवर्सिटी की मुख्य शोधकर्ता एलेन हावर्ड एक्लुंड के अनुसार, “भारत, इटली, ताईवान और तुर्की के आधे से ज्यादा वैज्ञानिक खुद को धार्मिक बताते हैं।”
एक्लुंड की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, “इस अध्ययन में चौंकाने वाली बात यह थी कि वैज्ञानिकों की तुलना में हांककांग की सामान्य जनसंख्या के करीब दोगुने लोगों ने खुद को नास्तिक बताया था। उदाहरण के लिए 55 प्रतिशत लोगों की तुलना 26 प्रतिशत वैज्ञानिकों समुदाय के लोगों से की गई थी।”
शोधकर्ताओं ने हांककांग के 39 प्रतिशत वैज्ञानिकों की तुलना 20 प्रतिशत सामान्य नागरिकों से की और ताईवान के 54 प्रतिशत वैज्ञानिकों की तुलना 44 प्रतिशत नागरिकों के साथ की।
एक्लुंड के अनुसार, “इस सर्वेक्षण में प्रतिभागियों से धर्म और विज्ञान के बीच टकराव के बारे में प्रश्न किया गया, तो बेहद कम वैज्ञानिकों ने ही इस बात को स्वीकार किया कि विज्ञान और धर्म के बीच परस्पर कोई टकराव होता है।”
ब्रिटेन में हुए सर्वेक्षण के आधार पर केवल 32 प्रतिशत वैज्ञानिकों ने ही माना कि विज्ञान और धर्म के बीच टकराव होता है। वहीं अमेरिका में यह आंकड़ा केवल 29 प्रतिशत था।
अध्ययन के आंकड़े बताते हैं कि हांककांग के 25 प्रतिशत, भारत के 27 प्रतिशत और ताईवान के 23 प्रतिशत वैज्ञानिकों का मानना है कि विज्ञान और धर्म एक साथ रहकर परस्पर एक दूसरे की मदद करते हैं। सर्वेक्षण में इस मत को स्वीकार करने वाले वैज्ञानिकों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीय वैज्ञानिकों की थी।
इस अध्ययन के शोधार्थियों को विश्व के 9,422 उत्तदाताओं से यह जानकारी प्राप्त हुई। इस सर्वेक्षण में फ्रांस, हांककांग, भारत, इटली, ताइवान, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका के प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। शोधार्थियों ने 609 वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गहन अध्ययन के लिए इन क्षेत्रों की यात्रा की थी।