जयपुर, 25 जनवरी (आईएएनएस)। जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) को समाप्त हुए भले ही दो दिन हो चुके हैं, लेकिन समारोह में लेखिका तस्लीमा नसरीन के चौंकाने वाले सत्र को लेकर सोशल मीडिया पर अभी भी बवाल मचा हुआ है।
नसरीन ने इस समारोह के भविष्य में होने वाले सत्र में उनके हिस्सा लेने पर ‘पाबंदी’ को लेकर आयोजकों के खिलाफ ट्विटर पर जमकर अपनी भड़ास निकाली, वहीं आयोजकों ने कहा कि इस तरह की खबरें ‘सच नहीं’ हैं।
लगभग 25-30 लोगों ने दिग्गी पैलेस के बाहर प्रदर्शन करते हुए कहा था कि तस्लीमा नसरीन का लेखन इस्लाम को बदनाम करता है और आयोजकों को उन्हें आमंत्रित नहीं करना चाहिए।
बाद में सोमवार शाम को महोत्सव के आयोजक संजय रॉय ने एक बयान में कहा, “उन्होंने अपना गुस्सा जताया..मैंने उनकी बातें सुनीं। हमनें उन्हें बताया कि हम अल्पसंख्यकों का समर्थन करते हैं। इस बात पर बल दिया कि जयपुर साहित्य समारोह एक ऐसा मंच है, जहां हर कोई अपना विचार रख सकता है। इस बात से सहमत हैं कि उन्हें दोबारा न बुलाने के अनुरोध पर हमें विचार करना चाहिए।”
इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर अटकलें लगने लगीं कि अगले साल होने वाले जयपुर साहित्य महोत्सव में तस्लीमा को आमंत्रित नहीं किया जाएगा।
इसके बाद विवादित लेखिका ने ट्वीट की झड़ी लगाकर आयोजकों पर भड़ास निकाली।
उन्होंने लिखा, “महिलाओं से नफरत करने वाले मुल्ला मुझ पर प्रतिबंध लगाते हैं, भ्रष्ट सरकारें मुझ पर प्रतिबंध लगातीं हैं, अब बेहद प्रगतिशील धर्मनिरपेक्ष उदारवादी जेएलएफ मुझ पर प्रतिबंध लगाएगा? विश्वास नहीं होता!”
उन्होंने ट्वीट किया, “कमाल है! महिलाओं से नफरत करने वालों का एक धर्माध समूह और बेवकूफ-बेहद मूर्ख यह तय करेंगे कि जयपुर साहित्य महोत्सव में किसे भाग लेना चाहिए और किसे नहीं।”
तस्लीमा के ये ट्वीट वायरल हो गए।
इसके बाद, आयोजक के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया, “भविष्य में होने वाले समारोह में तस्लीमा नसरीन को प्रतिबंधित करने की खबरें सच नहीं हैं। इस बारे में कोई बयान नहीं दिया गया।”
इस पर तस्लीमा ने ट्वीट किया कि यह सुनकर अच्छा लगा। जेएलएफ अभिव्यक्ति की आजादी में विश्वास रखता है।