नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने के खिलाफ हुए प्रदर्शन को पाकिस्तानी आतंकी संगठन हाफिज सईद का ‘समर्थन’ मिला था। उनके बयान से राजनैतिक हलकों में विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष ने मांग की है कि गृह मंत्री अपनी इस बात के समर्थन में सबूत पेश करें।
नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने के खिलाफ हुए प्रदर्शन को पाकिस्तानी आतंकी संगठन हाफिज सईद का ‘समर्थन’ मिला था। उनके बयान से राजनैतिक हलकों में विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष ने मांग की है कि गृह मंत्री अपनी इस बात के समर्थन में सबूत पेश करें।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट की झड़ी लगाकर राजनाथ के बयान को सवालों के घेरे में खड़ा किया है।
येचुरी ने लिखा, “केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जेएनयू प्रदर्शन को आतंकियों के ‘समर्थन’ का बेहद गंभीर आरोप लगाया है। हमें उम्मीद है कि उनके पास इसका पुख्ता सबूत होगा।”
उन्होंने लिखा है, ” हमने जब कल (शनिवार को) गृह मंत्री से मुलाकात की थी तो उन्होंने हमसे हाफिज सईद का जिक्र नहीं किया था। वह केवल प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई नारेबाजी पर टिके हुए थे।”
येचुरी ने कहा, “यह जेएनयू की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए गोलपोस्ट बदलने की कवायद लग रही है।”
येचुरी ने लिखा है, “आरोप की गंभीरता को देखते हुए, जिसे कि खुद गृह मंत्री ने लगाया है, हम चाहेंगे कि इससे जुड़े सबूत देश के सामने रखे जाएं।”
माकपा महासचिव ने लिखा है, “हम चिंतित हैं क्योंकि हम पहले भी देख चुके हैं कि गृह मंत्री ने पठानकोट पर आतंकी हमले से जुड़ी अपनी पोस्ट हटा दी थी।”
राजनाथ ने रविवार को संवाददाताओं से कहा था कि जेएनयू में जो कुछ हुआ है उसे हाफिज सईद का भी समर्थन हासिल है और यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, “जेएनयू में जो कुछ हुआ, उसे लश्कर-ए-तैयबा के हाफिज सईद का भी समर्थन मिला है। देश को सच्चाई स्वीकारनी चाहिए।”
राजनाथ ने अपने बयान का कोई संदर्भ नहीं दिया। एक ट्वीट हाफिज सईद के कथित ट्विटर हैंडल के जरिए सामने आया था। इसमें जेएनयू के कार्यक्रम का समर्थन किया गया था। इसमें पाकिस्तानियों से कहा गया था कि ‘पाकिस्तान समर्थक जेएनयू के भाइयों’ की वजह से जेएनयू का समर्थन करें।
लेकिन, यह ट्विटर हैंडल सत्यापित नहीं है और ऐसा लगता है कि इस ट्वीट को बाद में हटा दिया गया।
हाफिज सईद मुंबई के आतंकी हमलों में वांछित है।
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी मांग की है कि राजनाथ सिंह को हाफिज सईद के बारे में दिए गए अपने बयान से जुड़े सबूत सामने रखने चाहिए।
उन्होंने ट्वीट किया, “यह कहना कि हाफिज सईद ने जेएनयू प्रदर्शन का समर्थन किया-छात्रों पर लगाया गया बेहद संगीन इलजाम है। इससे जुड़े सबूतों को सभी के साथ साझा किया जाना चाहिए।”
उमर ने लिखा, “गृह मंत्री को उन सबूतों के साथ लोगों के बीच जाना ही चाहिए जिनके आधार पर उन्होंने इतना गंभीर आरोप लगाया है।”
उन्होंने लिखा, ” छात्रों पर कार्रवाई और इसके लिए हाफिज सईद के नाम का इस्तेमाल, एक नए तरह का निम्नस्तर है, यहां तक कि इस राजग सरकार के लिए भी। “
उमर ने लिखा, “यह वही भाजपा है जिसके साथ महबूबा मुफ्ती सौदेबाजी में लगी हुई हैं। इसीलिए उनकी चुप्पी पर ताज्जुब नहीं होता। वह खामोश हैं, एक शब्द भी इस पर नहीं बोल रही हैं।”
राजनाथ ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “मैं सभी राजनैतिक दलों से अपील कर रहा हूं। जब कभी भी देश के खिलाफ नारे लगाने की कोई घटना हो, हम एकजुट होकर इसका विरोध करें। ऐसी घटनाओं से राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।”
कांग्रेस, माकपा, भाकपा और जद(यू) के नेताओं ने शनिवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह की धारा में गिरफ्तार करने के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी, लेकिन साथ में उन्होंने यह निर्देश भी दिया है कि बेगुनाह की हर हाल में सुरक्षा हो।
उन्होंने कहा, “जो कोई भी देश विरोधी नारे लगाएगा और देश की एकता पर प्रश्नचिन्ह लगाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। मैंने इस बारे में जरूरी निर्देश दिए हैं। मैंने यह निर्देश भी दिया है कि निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए।”
नौ फरवरी की रात संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के सह संस्थापक मकबूल बट को दी गई फांसी की बरसी पर जेएनयू में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। कहा जा रहा है कि कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगाए गए थे।
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को देशद्रोह का मामला दर्ज कर कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया। कुमार ने देश विरोधी नारे लगाने से इनकार किया है। उन्हें शुक्रवार को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था।