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 जीवन की सार्थकता | dharmpath.com

Friday , 22 November 2024

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जीवन की सार्थकता

the lifeपरमात्मा ने हमें अपने जीवन रूपी रथ को युक्ति सहित चलायमान रखने के लिए मानव शरीर में शक्ति रूपी दस इंद्रियां प्रदान की हैं। इनमें पांच ज्ञानेंद्रियां और पांच कमर्ेंद्रियां हैं। सभी इंद्रियों के अपने-अपने स्वामी हैं। ज्ञानेंद्रियों में आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा को शुमार किया जाता है, जो अपने अनुसार कार्य करती हैं। जैसे आंख के द्वारा हम अच्छाई-बुराई देखते हैं, कान से सुनते हैं, नाक से सुगंध व दुर्गध का विश्लेषण करते हैं और जीभ से स्वाद चखते हैं। इसी तरह त्वचा स्पर्श के माध्यम से कोमल व कठोर का ज्ञान कराती है। इसी प्रकार पांच कर्मेद्रियां हैं। प्रत्येक इंद्रियों का एक स्वामी है, जैसे आंख का सूर्य। सूर्य के बिना आंखें बेकार हैं। इसी प्रकार कान का स्वामी आकाश, नाक का पृथ्वी, जीभ का जल और त्वचा के स्वामी वायु देवता हैं। इन सभी इंद्रियों का जब हम सदुपयोग करते हैं तो देवता उत्तम सिद्धियां प्रदान करते हैं, किंतु इनका दुरुपयोग मनुष्य को विनाश की ओर अग्रसर करता है।

परमात्मा ने आत्मा के साथ इन सभी इंद्रियों को इसलिए जोड़ा है कि हम आवश्यकता के अनुसार इनसे सहयोग लेकर अपने जीवन को यथार्थ की ओर अग्रसर कर सकें।

यदि हम सदुपयोग के साथ इंद्रियों रूपी उपकरणों का प्रयोग करते हैं तो वे हमारे लिए वरदान सिद्घ होती हैं। वहीं दुरुपयोग से विनाश की दिशा में आगे बढ़ते हैं। मनुष्य शरीर में ज्ञानेंद्रियों को ऊपर और कर्मेद्रियों को नीचे स्थान मिला है। इससे सिद्घ होता है कि ज्ञानेंद्रियां प्रधान हैं। इसलिए जो मनुष्य विवेक से कर्म करता है वह लौकिक व पारलौकिक सुख प्राप्त करता है। यदि हम भटक जाते हैं तो हम धीरे-धीरे अधोगति की ओर बढ़ते हैं। इसलिए जीवन रूपी रथ को संचालित करने के लिए शरीर माध्यम है। इस शरीर में विद्यमान आत्मा परमात्मा का अंश है। इस जीवन रूपी रथ की संचालक आत्मा है। इसमें दस इंद्रिय रूपी घोड़े हैं, जो इसे खींचते हैं, किंतु मन रूपी बागडोर से इन्हें नियंत्रण में रखा जाता है। जो चालक अपने ज्ञान व विवेक से मन की बागडोर संभालते हुए चलता है वह देवत्व की संज्ञा प्राप्त करता है और जीवन को सार्थक बनाता है।

जीवन की सार्थकता Reviewed by on . परमात्मा ने हमें अपने जीवन रूपी रथ को युक्ति सहित चलायमान रखने के लिए मानव शरीर में शक्ति रूपी दस इंद्रियां प्रदान की हैं। इनमें पांच ज्ञानेंद्रियां और पांच कमर परमात्मा ने हमें अपने जीवन रूपी रथ को युक्ति सहित चलायमान रखने के लिए मानव शरीर में शक्ति रूपी दस इंद्रियां प्रदान की हैं। इनमें पांच ज्ञानेंद्रियां और पांच कमर Rating:
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