नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। सरकार ने चार कोयला ब्लॉकों के लिए लगाई गई बोलियां स्वीकार न करने का निर्णय लिया है। लेकिन यहीं पर सरकार ने पांच अन्य कोयला ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। ये पांच कोयला ब्लॉक उन ब्लॉकों में शामिल हैं, जिन्हें इस साल फरवरी और मार्च में 33 कोयला ब्लॉकों के लिए चली दो दौर की ई-नीलामी प्रक्रिया के बाद जांच के लिए रखा गया था।
केंद्रीय कोयला सचिव अनिल स्वरूप ने एक ट्विट में बताया, “सरकार ने जांच के बाद नौ कोयला ब्लॉकों की नीलामी पर फैसला किया है।” उन्होंने चार कोयला ब्लॉकों का जिक्र करते हुए कहा कि गारे पालमा 4/1, 4/2, 4/3 और तारा कोयला ब्लॉकों के लिए बोलियां स्वीकार नहीं की गई हैं।
जिंदल पॉवर ने मार्च में हुई नीलामी के दौरान तारा कोयला ब्लॉक के लिए सबसे अधिक बोली लगाई थी, जबकि फरवरी में गारे पालमा 4/1 कोयला ब्लॉक के लिए बाल्को ने सर्वाधिक बोली लगाई थी। जिंदल पॉवर ने गारे पालमा 4/2 और 4/3 के लिए भी सर्वाधिक बोली लगाई थी। ये सभी कोयला ब्लॉक छत्तीसगढ़ में है।
केंद्रीय कोयला मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि जांच किए गए नौ ब्लॉकों में से पांच ब्लॉक अनुसूची-3 श्रेणी से संबंधित हैं और संचालन के लिए लगभग तैयार हैं, जबकि चार अन्य ब्लॉकों को अनुसूची-2 के तहत सूचीबद्ध किया गया है, जो पहले से ही संचालित हैं।
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जिंदल पॉवर ने कहा कि वह इस फैसले के कारणों को समझ नहीं पा रहे हैं कि सर्वाधिक बोली लगाने वाले की कीमत मूल्य ठीक नहीं है। एक गंभीर दीर्घावधि कंपनी के रूप में जिंदल पॉवर ने इस पूरी नीलामी प्रक्रिया के दौरान एक निरंतर और ठोस बोली रणनीति का पालन किया है।
कंपनी ने बयान में कहा, “हम इस फैसले से असमंजस में है। हम इस मामले में तथ्यों को पेश करने के लिए कोयला मंत्रालय व सरकारी प्राधिकारियों के साथ चर्चा करने के लिए हरसंभव प्रयत्न करेंगे।”
कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने ‘आउटलियर’ नामक एक विश्लेषक टूल के जरिए इसी तरह के अन्य कोयला ब्लॉकों की जीती हुई बोलियों की तुलना के दौरान इस मुद्दे पर विचार किया कि कहीं इन बोलियों के मूल्य अत्यंत कम तो नहीं हैं।
कोयला सचिव स्वरूप ने बोलियों की जांच पर निर्णय के बाद एक ट्विट में कहा, “फिलहाल व्यवसाइयों की गोलबंदी या सांठगांठ का कोई आरोप नहीं लगा रहा हू।” उन्होंने बाद में संवाददाताओं से कहा, “हम यह देख रहे हैं कि जिस कीमत पर बोलियां लगाई गईं, क्या वह कीमत सरकार के लिए पर्याप्त है, या नहीं। और क्या हमें इससे बेहतर कीमत मिल सकती है।”
क्या सरकार इन बोलियों को रद्द कर सकती है, इसके जवाब में उन्होंने सरकार के सामने मौजूद विकल्प गिनाते हुए कहा कि सरकार कोयला ब्लॉकों की दोबारा नीलामी करा सकती है, उन्हें राज्यों को आवंटित कर सकती है या फिर सरकारी स्वामित्व वाली कोल इंडिया कंपनी को सौंप सकती है।