जिंदगी है तो समस्याएं भी हैं। जिंदगी को समस्याओं से अलग नहीं किया जा सकता। अकसर अनेक व्यक्ति समस्याओं का डटकर सामना करते हैं, लेकिन कई व्यक्ति ऐसे भी होते हैं, जो समस्याओं से मुकाबला करने के बजाय संघर्ष के बगैर ही हार मानकर बैठ जाते हैं। अगर कोई समस्या है तो उसका हल अवश्य होगा। इसके लिए सकारात्मक सोच का होना बहुत महत्वपूर्ण है। अध्यात्म व अदृश्य ईश्वरीय शक्ति पर आस्था रखने से सकारात्मक सोच उत्पन्न होती है। सकारात्मक सोच से मन में आशा का संचार होता है। इसके फलस्वरूप हम आत्मविश्वास के साथ अमुक समस्या का सामना करने में सक्षम होते हैं। सच तो यह है कि अगर चतुराई के साथ समस्या से जूझा जाए तो उसे पराजित किया जा सकता है। उस चतुराई के लिए व्यक्ति को हौसला, धैर्य, सहनशीलता, प्रेम, करुणा आदि भावों को अपने मन में उत्पन्न करना होगा। किसी विद्वान ने कहा है कि अपने हौसलों को ये मत बताओ कि तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी है, बल्कि अपनी परेशानी को बताओ कि तुम्हारा हौसला कितना बड़ा है।
यदि हम परेशानी के समय धैर्य रखें और वक्त का इंतजार करते हुए स्वयं को शांत बनाए रखने की कोशिश करें तो बहुत हद तक समस्याओं से निपटा जा सकता है। डरकर यदि हम अपने काम से मुंह मोड़ लेते हैं तो ऐसे में समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है और यह स्थिति अलग से तनाव का कारण बन जाती है। समस्या आने पर यदि आप छटपटाएंगे, चीखेंगे, चिल्लाएंगे, चिंता करेंगे तो समस्या और बढ़ जाएगी। धैयपूर्वक प्रयास करने से ही समस्या से निबट सकते हैं। यदि सोचे-विचारे बगैर समस्याओं को जल्दबाजी में दूर करने का प्रयास करेंगे, तो ऐसे में हम कुछ नई समस्याओं को भी अनायास ही बुलावा दे बैठेंगे। इसलिए समस्या आने पर आत्मविश्वास के साथ धैर्य से काम लेना चाहिए। यदि एक बार आपने समस्या का सामना कर उस पर विजय प्राप्त करना सीख लिया, तो भविष्य में आप कभी भी किसी समस्या का सामना करने से नहीं घबराएंगे।