संदीप पौराणिक
संदीप पौराणिक
भोपाल, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। किसी हादसे का शिकार बने व्यक्ति या गंभीर मरीज के लिए समय पर चिकित्सा मिलना अब भी किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि मरीज को अस्पताल पहुंचने के बाद कई तरह की जटिल प्रक्रियाओं से होकर गुजरना होता है और कई बार तो उपचार की दरकार में उसकी मौत तक हो जाती है, मगर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के इंजीनियरिंग के चार छात्रों ने ‘सेवा एप’ तैयार किया है जो जीवन बचाने में मददगार साबित हो सकता है।
देश में न तो सरकारी और न ही निजी चिकित्सालयों की कमी है, मगर कभी कोई कमी सामने आती है तो वह है पीड़ित को समय पर चिकित्सा सुविधा का हासिल न होना है। इसकी बड़ी वजह कहीं न कहीं व्यवस्थाओं की कमी है।
अस्पताल में इलाज कराने के लिए कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना आम बात है, इससे बचने की कोई व्यवस्था या सिस्टम नहीं है, यही बात भोपाल के निजी इंजीनियरिंग कॉलेज आईईएस ग्रुप के छात्रों को खटकी, इसीलिए उन्होंने एक ऐसा एप तैयार किया है जो अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार लाने और मरीजों को त्वरित चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने मे सहायक हो सकता है।
‘सेवा एप’ बनाने वाले चार इंजीनियरिंग के छात्रों के समूह के अभिषेक कुमार ने बताया है कि इस एप को एंडाइड फोन अथवा कंप्यूटर पर डाउन लोड करना होगा, उसके बाद संबधित के फोन पर तीन विकल्प आएंगे, अस्पताल, आपातकाल व सूचना। इसमें से पीड़ित को अपनी जरूरत के अनुसार चयन करना होगा। अगर वह अस्पताल की जानकारी चाहता है तो उसके सामने जिले के सरकारी व निजी अस्पतालों की सूची होगी, उसमें अस्पताल के विभागों और चिकित्सकों का ब्यौरा होगा।
एप के जरिए चिकित्सक को दिखाने का समय तय करना आसान होगा, वही निर्धारित फीस ऑनलाइन जमा कर सकेगा।
अमित कुमार ने एप के काम करने के तरीके का ब्यौरा देते हुए बताया कि यह तीन जगह से जुड़ा होगा, दोनों उपयोगकर्ता अर्थात पीड़ित व चिकित्सक और एप का नियंत्रण कक्ष। इस तरह पीड़ित की मांग को नियंत्रण कर्ता पूरी करते हुए संबंधित अस्पताल या चिकित्सक तक संदेश दे देगा।
एप को लेकर चल रही तैयारी के संदर्भ में आकाश ने बताया है कि इसे पहले भोपाल स्तर पर शुरू किया जाएगा। इसमें जिले के सभी अस्पतालों के ब्यौरे के साथ उपलब्ध सुविधाएं और चिकित्सकों के नाम व फोन नंबर भी होंगे। इस एप का उपयोग करने पर एक तरफ जहां सामान्य मरीजों की कतार में लगने की समस्या से बचत होगी, वहीं समय पर इलाज मिल सकेगा।
समूह के सदस्य अमित कुमार सिंह ने बताया है कि इस एप का सबसे ज्यादा लाभ आपातकालीन (इमरजेंसी) सेवा चाहने वालों को होगा। इस श्रेणी के मरीजों के लिए दो विकल्प होंगे, गंभीर मरीज (हृदयरोगी) और हादसों में गंभीर रूप से घायल। इस स्थिति में सबसे पहले सूचना एप के जरिए नजदीक उपलब्ध एम्बुलेंस और अस्पताल को दी जाएगी। लिहाजा मरीज को एक तरफ जल्दी एम्बुलेंस मिल सकेगी तो अस्पताल पहुंचने से पहले वहां चिकित्सकीय तैयारी पूरी हो चुकी होगी।
आईईएस ग्रुप के निदेशक बादाम सिंह ने आईएएनएस को बताया कि याहू के सहयोग से एसेंचर द्वारा हर वर्ष नवाचार (एनोवेशन) करने वालों से देश भर से प्रविष्टियां बुलाई जाती है। इस वर्ष देश भर से 2500 प्रविष्टियां आई थी, जिनमें 15 का चयन हुआ है, इसमें मध्य प्रदेश का भी एक नवाचार चयनित हुआ है जो आईईएस के छात्रों ने किया है। आने वाले दिनों में 15 में से चार नवाचार को अंतिम रूप से चयनित किया जाएगा।
छात्रों का कहना है कि देश के कुछ प्रमुख अस्पताल अपोलो, कोकिला बेन, एम्स आदि ने मरीजों को सुविधा देने के लिए वेबसाइट शुरू की है, मगर यह वेबसाइट उस तरह से मदद नहीं कर पा रही है जो मरीज की जरूरत है। वहीं यह एप छोटे स्तर पर ज्यादा मददगार साबित हो सकता है।
सेवा एप तैयार करने वाले छात्रों का कहना है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने यह प्रयास किया है। वे चाहते हैं कि चिकित्सा सुविधा का डिजिटलाइजेश हो और मरीज को त्वरित चिकित्सा सुविधा मिले, ताकि उनकी जान बचाई जा सके। इसी के मद्देनजर उन्होंने सेवा एप बनाया है।